۳۰ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۱ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 19, 2024
मौलाना

हौज़ा / शिया धर्मगुरु मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने बताया कि फितरा, जिसे "ज़काते फितरा" भी कहा जाता है, इस्लाम के वाजिब कामों में से एक है। इसको ईद-उल-फितर के चाँद निकलने के बाद निर्धारित मात्रा और एक विशेष स्थिति में माल का भुगतान करना चाहिए उन्होंने बताया कि इस साल, शिया समुदाय के लोग करीब 100 रुपये फितरा अदा करेंगे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शिया धर्मगुरु मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने बताया कि फितरा, जिसे "ज़काते फितरा" भी कहा जाता है, इस्लाम के वाजिब कामों में से एक है। इसको ईद-उल-फितर के चाँद निकलने के बाद निर्धारित मात्रा और एक विशेष स्थिति में माल का भुगतान करना चाहिए उन्होंने बताया कि इस साल, शिया समुदाय के लोग करीब 100 रुपये फितरा अदा करेंगे।

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने कहा कि फितरा गरीबों और जरूरतमंदों को देना चाहिए, जिसकी मात्रा लगभग 3 किलो गेहूं, जौ, खजूर, चावल और मक्का की है। हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में ज़्यादातर आटा प्रयोग किया जाता है, इसलिए तीन किलो आटे का मूल्य दिया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य चीज का मूल्य अदा करता है, तो भी यह स्वीकार्य है।

मौलाना ने यह भी उजागर किया कि प्रत्येक बालिग़ और समझदार व्यक्ति को जो अपने और अपने परिवार का एक वर्ष का ख़र्च उठाता है, उसे अपने और अपने परिवार का फितरा देना वाजिब है। फितरा का भुगतान चांदरात से ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले या उसी दिन ज़ोहर की नमाज़ से पहले किया जाता है।

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