۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
लखनऊ

हौज़ा / मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने फरमाया हज़रत अली को शुजा, बहादुर कहा जाता है उन्होंने इस्लाम को बचाने के लिए बहुत सी जंगे की इसी वजह से उनको 21 रमज़ान 40 हिजरी को इराक़ के शहरे कूफा कि एक मस्जिद मे अब्दुल रहमान इब्ने मुल्जिम नाम के आतंकी ने हज़रत अली के सर पर नमाज़ की हालत मे ज़हर मे डूबी तलवार से आप के सर पर हमला कर दिया जिस से आप की शहादत हो गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हज़रत  पैगम्बर मोहम्मद के उत्तराधिकारी व शियों के पहले इमाम हज़रत अली की शहादत के मौके पर शहरे लखनऊ मे मजलिस, जुलूस  का सिलसिला आज से शुरू हो गया है जो 21 रमज़ान तक रहेगा।

इस मौक़े पर लखनऊ के शिया धर्मगुरु मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि 21 रमज़ान को कूफे की मस्जिद इराक़ मे मौला अली की शहादत हुई।

जावेद हैदर जै़दी ने अपने बयान मे आगे कहा कि मौला अली ने चार साल हुकूमत की उनकी हुकूमत मे इन्साफ था किसी भी तरह का भेद भाव नहीं था।

हज़रत अली को शुजा (बहादुर) कहा जाता है उन्होंने इस्लाम को बचाने के लिए बहोत सी जंगे की इसी वजह से उनको 21 रमज़ान 40 हिजरी को इराक़ के शहरे कूफा कि एक मस्जिद मे अब्दुल रहमान इब्ने मुल्जिम नाम के आतंकी ने हज़रत अली के सर पर नमाज़ की हालत मे ज़हर मे डूबी तलवार से आप के सर पर हमला कर दिया जिस से आप की शहादत हो गई।

मौला अली का आखि़री इफ्तार

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने बयान मे कहा कि 19 रमज़ान को हज़रत अली इफ्तार के वक्त अपनी छोटी बेटी जनाबे उम्मे कुलसुम के घर पर थे जब इफ्तार का वक्त आया तो उनकी बेटी अपने बाबा की खि़दमत मे दो खाने की चीजे़ रखी एक जौ की रोटी नमक के साथ और एक प्याले मे दुध कहा बाबा इफ्तार कर लीजिए मौला अली ने जब देखा तो कहा बेटी क्या कभी देखा कि तुम्हारे बाबा ने एक वक्त मे दो गिज़ा खाई हो बेटी दुध हटा लो। इस बात से ये समझ मे आता है कि मौला अली कितनी सादी जिंदगी गुजा़रते थे।

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