۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा/ नौकरों को सज़ा और माफ़ी (भय और खुशी) के बीच रखना लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए पवित्र कुरान के तरीकों में से एक है, जो विश्वासियों और अविश्वासियों के भाग्य (जीत और हार) पर अल्लाह का स्वामित्व और संप्रभुता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
‏وَلِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ يَغْفِرُ لِمَن يَشَاءُ وَيُعَذِّبُ مَن يَشَاءُ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ वलिल्लाहे मा फ़िस समावाते वमा फ़िल अर्ज़े यग़फ़ेरो लेमन यशाओ वा योअज़्ज़ेबो मय यशाओ वल्लाहो ग़फ़ूरुर रहीम (आले-इमारन, 129)

अनुवाद: हे रसूल (स)! ईश्वर के आदेश में तुम्हें कोई अधिकार नहीं है (बल्कि यह अधिकार अल्लाह के पास है) कि चाहो तो उनकी तौबा स्वीकार कर लो और चाहो तो उन्हें दण्ड दे दो। क्योंकि ये लोग वैसे भी क्रूर होते हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ आकाश और धरती (ब्रह्मांड) का स्वामित्व और उन पर शासन केवल ईश्वर पर निर्भर करता है।
2️⃣ यह तथ्य कि ब्रह्माण्ड की पूर्ण संप्रभुता एवं स्वामित्व ईश्वर के स्वयं पर निर्भर है, इस बात का प्रमाण है कि सेवकों को क्षमा करने अथवा उन्हें दण्ड देने की निर्भरता भी ईश्वर के स्वयं पर है।
3️⃣ पश्चाताप करने वालों के लिए क्षमा और पापियों के लिए दंड का स्रोत ईश्वर का विधान है।
4️⃣ ईश्वर सर्वशक्तिमान, अत्यंत क्षमाशील और अपने सेवकों पर सदैव दयालु रहने वाला है।
5️⃣ नौकरों को सज़ा और माफ़ी (भय और खुशी) के बीच रखना लोगों को प्रशिक्षित करने के पवित्र कुरान के तरीकों में से एक है।
6️⃣ विश्वासियों और अविश्वासियों के अंत (जीत और हार) पर अल्लाह सर्वशक्तिमान का स्वामित्व और संप्रभुता।
7️⃣ इतिहास दर्शन इस्लाम का सिद्धांत है कि ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण ईश्वर और एकेश्वरवाद के आधार पर ही किया जाना चाहिए।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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