हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِكُمْ سُنَنٌ فَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِينَ क़द ख़लत मिन क़बलेकुम सोननुन फ़सीरू फ़िल अर्ज़े फ़ंज़ोरू कैफ़ा काना आक़ेबतुल मोकज़्ज़ेबीन (आले-इमरान, 137)
अनुवाद: आपके सामने कई उदाहरण (और युग) बीत चुके हैं, इसलिए पृथ्वी पर चलें और देखें कि उन लोगों का क्या हुआ जिन्होंने (भगवान की आज्ञाओं) का खंडन किया।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ पूरे इतिहास में मानव समाज पर दिव्य सुन्नतों और सिद्ध कानूनों का शासक बनना।
2️⃣ दैवीय परंपराओं और कानूनों के आधार पर ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तन।
3️⃣ दिव्य संतों के ज्ञान और इसे नियंत्रित करने वाले कानूनों के आधार पर सामाजिक परिवर्तनों और ऐतिहासिक प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करना।
4️⃣ सभी समाजों में सामाजिक जीवन के विशेष तरीके और ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट पृष्ठभूमि होती है।
5️⃣ लोगों को ईश्वर के धर्म से इनकार करने वालों के सबसे बुरे अंत और अंत के बारे में चेतावनी देना।
6️⃣ पर्यटन और ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तनों और घटनाओं में अनुसंधान दिव्य संतों को पहचानने का एक तरीका है।
7️⃣अतीत के देशों के क्षेत्र और अवशेष पहचान और सीखने के सबक का स्रोत हैं।
8️⃣ व्यक्ति के कुछ पाप सांसारिक दंड का कारण बनते हैं।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान