हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अमाली सदूक" पुस्तक से लिया गया हैं इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول اللہ صلی الله علیه وآله وسلم
يَوْمَ غَدِيرِ خُمٍّ أَفْضَلُ أَعْيَادِ أُمَّتِي وَ هُوَ الْيَوْمُ الَّذِي أَمَرَنِي اللَّهُ تَعَالَى ذِكْرُهُ فِيهِ بِنَصْبِ أَخِي عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ ع عَلَماً لِأُمَّتِي يَهْتَدُونَ بِهِ مِنْ بَعْدِي وَ هُوَ الْيَوْمُ الَّذِي أَكْمَلَ اللَّهُ فِيهِ الدِّينَ وَ أَتَمَّ عَلَى أُمَّتِي فِيهِ النِّعْمَةَ وَ رَضِيَ لَهُمُ الْإِسْلَامَ دِيناً۔
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल. ने फरमाया:
ग़दीर मेरी उम्मत के लिए अफज़ल तरीन ईदों में से एक हैं, और यह वह दिन है जब अल्लाह ताला ने मुझे हुक्म दिया कि मैं अपने भाई अली इब्ने आबी तालिब अ.स. को अपनी उम्मत का आलमदार और ज़िम्मेदार बनाऊ,ताकि मेरे बाद मेरी उम्मत इनके ज़रिए हिदायत हासिल करें इस दिन अल्लाह ताला ने दीन को मुकम्मल और मेरी उम्मत पर नेमतें तमाम और इस्लाम को उनके बेहतरीन और पसंदीदा करार दिया हैं।
अमाली सदूक,पेज 125,हदीस नं 8
आपकी टिप्पणी