हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारुल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الکاظم علیه السلام
ثَلاثَةٌ یَسْتَظِلُّونَ بِظِلِّ عَرْشِ اللّه ِیـَوْمَ لاظـِلَّ اِلاّ ظـِلُّـهُ: رَجُلٌ زَوَّجَ اَخاهُ الْمُسْلِمَ، اَوْ اَخْـدَمـَهُ، اَوْکَتَمَ لَهُ سِرّا.
हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
तीन लोग कयामत के दिन अर्श इलाही के साए में होंगे कि जिस दिन उस साए के सिवा कोई दूसरा साया नहीं होगा,
1) जो अपने मुसलमान भाई की शादी और विवाह का सामान मुहैया करें।
2) अपने मोमिन भाई की किसी भी तरह खिदमत करें।
3)जो उसके राज़ को छुपा कर रखें।
बिहारुल अनवार,भाग 73,पेज 70