हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस प्रोग्राम में माएं अपने दुधमुंहे बच्चों को मख़सूस लिबास पहनाकर लाती हैं और हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम से यह नज़्र व अहद करती हैं।
ऐ साहिबुज़्ज़मान। मैं अपने बच्चे को आपकी क्रांति (इन्क़लाब) में नुसरत व मदद के लिए नज़्र कर रही हूं। इसको अपने ज़ुहूर के लिए जो क़रीब है चुन लीजिए और हिफ़ाज़त फ़रमाइये।
मालूम हो कि अली असग़र दिवस दुनिया के 45 देशों में मनाया जाता है और बड़ी बड़ी साम्राज्यवादी शक्तियां इस प्रोग्राम से बहुत ज़ियादा भयभीत हैं।
हज़रत अली असग़र, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के 6 महीने के बेटे थे। करबला में बनी उमैया के यज़ीदी लश्कर ने इन्हें भी भूखा प्यासा रखकर क्रुरता से शहीद कर दिया था।