۲۸ شهریور ۱۴۰۳ |۱۴ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 18, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ यह स्पष्ट है कि वाजिब नमाज अहले-बेत (अ) की मजलिस में भाग लेने से पहले है, और मजलिस में भाग लेने के बहाने नमाज को छोड़ना स्वीकार्य नहीं है। लेकिन इस तरह से भाग लेना संभव है कि नमाज का कोई विरोध न हो।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

प्रश्न: यदि मजलिस में भाग लेने से कुछ वाजेबात छूट जाते हो, तो क्या किसी को ऐसी मजलिस में भाग नहीं लेना चाहिए या इन मजलिसों में भाग न लेना अहले-बैत (अ) से दूरी का कारण है?

उत्तर:  यह स्पष्ट है कि वाजिब नमाज अहले-बेत (अ) की मजलिस में भाग लेने से पहले है, और मजलिस में भाग लेने के बहाने नमाज को छोड़ना स्वीकार्य नहीं है। लेकिन इस तरह से भाग लेना संभव है कि नमाज का कोई विरोध न हो।

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