हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शरई अहकाम:
सवाल: कुछ लोग आसानी से दिन में कई मर्तबा कस्में खाते हैं।
ऊपर वाले की कसम,
खुदा शाहिद है,
खुदा जानता है,
मुझे खुद खुदा की कस्म।
जबकि ऐसा सही नहीं हैं।
उत्तर : कस्म खाना यहां तक अगर सच्ची बात के लिए भी हो तो मकरूह हैं।
तौज़िहुल मसाईल;आयतुल्लाह उज़मा साफी,मसाईल नं 2684
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