۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / इस आयत का मुख्य विषय धैर्य, तकवा, दृढ़ता पर आधारित है। अल्लाह ताला ईमान वालों से सब्र करने की अपील कर रहा है, उन्हें सब्र करने, अग्रिम पंक्ति में डटे रहने और अल्लाह से डरने की ताकीद दे रहा है ताकि वे सफल हो सकें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اصْبِرُوا وَصَابِرُوا وَرَابِطُوا وَاتَّقُوا اللَّهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ    या अय्योहल्लज़ीना आमनुस बेरू वा साबेरू व राबेतू वत्तक़ुल्लाहा लअल्लकुम तुफ़लेहून (आले-इमरान, 200)

अनुवाद: हे विश्वासियों! सब्र करो और दूसरों को सब्र करने और मोर्चे पर डटे रहने और अल्लाह से डरने की ताकीद करो शायद तुम सफल हो सको।

विषय:

इस आयत का मुख्य विषय धैर्य, तकवा, दृढ़ता पर आधारित है। अल्लाह ताला ईमान वालों से सब्र करने की अपील कर रहा है, उन्हें सब्र करने, अग्रिम पंक्ति में डटे रहने और अल्लाह से डरने की ताकीद दे रहा है ताकि वे सफल हो सकें।

पृष्ठभूमि:

यह आयत ओहोद की लड़ाई के बाद सामने आई जब मुसलमानों को बड़ी कठिनाइयों और परीक्षणों का सामना करना पड़ा। इस आयत में मुसलमानों को कठिनाइयों के बावजूद धैर्य रखने, दृढ़ रहने और अल्लाह पर भरोसा रखने का निर्देश दिया गया है।

तफ़सीर:

  1. धैर्य के लिए उपदेश: कविता की शुरुआत विश्वासियों को धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करने से होती है, जो किसी भी परीक्षण के सामने दिल की दृढ़ता और दृढ़ता को दर्शाता है।
  2. दृढ़ता: यहां 'रबीतवा' शब्द का अर्थ है मोर्चे पर मजबूती से खड़ा होना। इसका मतलब न केवल हमारे दिलों में धैर्य रखना है, बल्कि एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना और रैंकों में अनुशासन बनाए रखना है।
  3. तक़्वा अपनाने पर ज़ोर: तक़्वा का मतलब है दिल में अल्लाह का डर रखना और उसके आदेशों का पालन करना ही सफलता का साधन है। इस आयत के अनुसार तक़वा अपनाने से सफलता मिलेगी।
  4. सफलता की शर्त: इस आयत के अंत में "لَعَلَّكُمْ تْفْلِحونَ" का प्रयोग बताता है कि विश्वास, धैर्य और धर्मपरायणता के साथ अग्रिम पंक्ति में डटे रहने से सफलता की उम्मीद की जा सकती है।

परिणाम:

यह आयत मुसलमानों के लिए एक दिशानिर्देश प्रदान करती है कि कैसे वे कठिन परिस्थितियों में धैर्य, धर्मपरायणता और अनुशासन बनाए रखकर अल्लाह की प्रसन्नता और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह विश्वासियों को पुष्ट करता है कि अल्लाह की मदद हमेशा उनके साथ है, बशर्ते वे उसके मार्ग पर दृढ़ रहें।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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