हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "काफी" पुस्तक से लिया गया है इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
منْ سَرَّهُ أَنْ يُسْتَجَابَ لَهُ دَعْوَتُهُ فَلْيُطِبْ مَكْسَبَهُ
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
जो आदमी चाहता है कि उसकी दुआ कबूल हो तो उसे चाहिए कि वह अपनी रोज़ी को हलाल और पाकीज़ा बनाए।
अलकाफी,(बाब अलदुआ)भाग 2,पेज 486