۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
मौलाना साजिद रिजवी

हौज़ा / वर्तमान समय में, जब दुनिया विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विवादों का सामना कर रही है, इस्लामी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें अपनी ज़िंदगी में शांति का प्रचार करना चाहिए। हमें के दूसरों के विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, नफरत और धर्मांधता से दूर रहना चाहिए, और प्रेम और भाईचारे के माध्यम से दुनिया को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!

लेखकः सैयद साजिद रज़वी मोहम्मद

इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो पूरी मानवता के लिए दया और प्रेम का संदेश लाया है। इस्लाम की बुनियाद शांति, प्रेम और भाईचारे पर आधारित है, और इसका उद्देश्य दुनिया में शांति और समृद्धि का प्रचार करना है। वर्तमान समय में जब दुनिया विभिन्न चुनौतियों और विवादों का सामना कर रही है, इस्लामी शिक्षाओं का अध्ययन और उन पर अमल करना अत्यंत आवश्यक हो गया है ताकि समाज में शांति बनाए रखी जा सके।

इस्लामी शिक्षाओं में शांति और भाईचारे पर बहुत जोर दिया गया है। क़ुरआन में अल्लाह तआला ने शांति को सफल जीवन का मूल तत्व बताया है। एक आयत में अल्लाह तआला फरमाता है:

"ऐ ईमानवालो! पूरी तरह से शांति (अमन) के दायरे में प्रवेश कर जाओ और शैतान के कदमों का पालन न करो, निश्चय ही वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।"
(सूरा बकरा: 208)

इस आयत में अल्लाह तआला मुसलमानों को आदेश दे रहा है कि वे पूरी तरह से शांति के दायरे में प्रवेश करें, यानी हर कार्य, हर सोच और हर व्यवहार शांति और सुरक्षा का प्रतीक होना चाहिए। इस्लाम का संदेश है कि प्रत्येक मुसलमान को अपनी ज़िंदगी में शांति को प्राथमिकता देनी चाहिए और दुनिया में शांति स्थापित करने में योगदान देना चाहिए।
इसके साथ ही, पैगंबर मोहम्मद (स) और अहलुल बैत (अ. स.) की शिक्षाएं भी शांति की ओर मार्गदर्शन करती हैं। इमाम अली (अ.स.) ने कहा:

"लोग दो प्रकार के होते हैं, या तो वे तुम्हारे धार्मिक भाई हैं या वे तुम्हारी तरह के इंसान हैं।"(नहजुल बलागा)

यह कथन हमें बताता है कि मानवता के आधार पर हमें हर व्यक्ति के साथ प्रेम, सम्मान और भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए। किसी के धर्म  के आधार पर उससे नफरत या दुश्मनी करना इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है। इमाम अली (अ. स.) की इस हिदायत में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सामाजिक शांति तभी स्थापित हो सकती है जब हम लोगों को उनके अकीदे और नस्ल के आधार पर विभाजित करने के बजाय, उन्हें मानवता के सिद्धांत पर समान मानें।

वर्तमान समय में, जब दुनिया विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विवादों का सामना कर रही है, इस्लामी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें अपनी ज़िंदगी में शांति का प्रचार करना चाहिए। हमें के दूसरों के विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, नफरत और धर्मांधता से दूर रहना चाहिए, और प्रेम और भाईचारे के माध्यम से दुनिया को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।


नतीजा:
इस्लाम प्रेम, शांति और मानवता का धर्म है। आज की दुनिया में जहां नफरत और दुश्मनी ने लोगों के दिलों को कठोर बना दिया है, इस्लामी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें शांति का मार्ग अपनाना चाहिए और दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना चाहिए। क़ुरआन और हदीस की रोशनी में, हमें चाहिए कि हम अपने कर्म और व्यवहार से दुनिया को शांतिपूर्ण बनाएं और मानवता की सेवा करें। इस्लाम की वास्तविक आत्मा प्रेम और शांति है, और यही संदेश हमें हर समय अपनाना चाहिए।

नोटः लेखक के अपने निजि विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना जरूरी नही है।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .

टिप्पणियाँ

  • Rashid IN 22:33 - 2024/09/25
    0 0
    Bahot acchi baat kahi aap ne