۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार 27 अक्टूबर 2024 को देश में कानून लागू करने वाले संस्थानों के कुछ शहीदों के परिवारों से मुलाकात की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार 27 अक्टूबर 2024 को देश में कानून लागू करने वाले संस्थानों के कुछ शहीदों के परिवारों से मुलाकात की।

उन्होंने समाज के सभी क्षेत्रों और लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं में सुरक्षा के बुनियादी महत्व की ओर इशारा करते हुए कहा कि केवल एक मजबूत ईरान ही देश और राष्ट्र की सुरक्षा और प्रगति को सुनिश्चित कर सकता है। इसलिए, ईरान को सभी आर्थिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक, रक्षा और प्रशासनिक क्षेत्रों में लगातार मजबूत बनाना चाहिए।

रहबर ने दो रात पहले इज़राईल शासन की शरारती हरकत के बारे में कहा कि वे लोग अपने खास उद्देश्यों के तहत इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं, लेकिन इसे छोटा समझना और यह कहना कि यह कुछ विशेष नहीं था गलत है।

उन्होंने ईरान के बारे में इज़राईल शासन की गलत धारणाओं को मिटाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वे लोग ईरान ईरानी युवाओं और ईरानी राष्ट्र को नहीं जानते और अब तक वे ईरानी राष्ट्र की शक्ति, क्षमता, नवाचार और संकल्प को सही ढंग से नहीं समझ पाए हैं उन्होंने कहा कि हमें उन्हें यह समझाना होगा कि ईरानी राष्ट्र कौन है और उसके युवा कैसे हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि ईरानी राष्ट्र में यह सोच, यह भावना, यह साहस और यह तैयारी बनी रहनी चाहिए क्योंकि यही तत्व सुरक्षा प्रदान करने वाले हैं। उन्होंने सुरक्षा को बनाए रखने के अनिवार्य तत्वों का वर्णन करते हुए कहा कि कुछ लोग यह मानते हैं कि मिसाइल जैसे उत्पादन से बचना, ईरान के लिए सुरक्षा का कारण बन सकता है, लेकिन यह गलत सोच है जो ईरानी राष्ट्र और नेताओं से कहती है कि देश को कमजोर रखें ताकि आप सुरक्षित रह सकें।

उन्होंने पहली और दूसरी विश्व युद्ध में ईरान के तटस्थ रहने की घोषणा के बावजूद उस पर कब्जे को अयोग्य या विश्वासघाती शासकों की नीतियों का परिणाम बताया और कहा कि इन लोगों ने ताकत के वास्तविक स्रोतों को नजरअंदाज कर देश और राष्ट्र को सुरक्षा सुनिश्चित करने में कमजोरी की स्थिति में धकेल दिया।

रहबर ने अपने भाषण के एक और हिस्से में ग़ज़ा में इज़राईल शासन के हाथों दस हज़ार बच्चों और दस हज़ार से अधिक महिलाओं की शहादत सहित अत्यंत बर्बर अपराधों की ओर इशारा करते हुए ग़ज़ा और लेबनान में इस शासन की कार्यवाहियों को रोकने में बड़ी सरकारों और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों की विफलता की तीव्र आलोचना की हैं।

उन्होंने कहा कि युद्ध के कुछ सिद्धांत, कानून और सीमाएँ होती हैं और ऐसा नहीं है कि युद्धों में सभी सीमाओं को लांघ दिया जाए, लेकिन कब्जे वाले क्षेत्रों पर शासन करने वाले आपराधिक गिरोह ने सभी सीमाओं और सिद्धांतों को पैरों तले रौंद दिया है।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इस आपराधिक इज़राईल शासन के खिलाफ सरकारों विशेष रूप से इस्लामी सरकारों के खड़े होने और इसके खिलाफ एक वैश्विक गठबंधन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि खड़े होने का अर्थ केवल आर्थिक सहायता रोकना नहीं है बल्कि ज़रूरत पड़ने पर इस बर्बर शासन के खिलाफ एक वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य गठबंधन बनाना है।

उन्होंने अपने भाषण के अंतिम हिस्से में कहा कि समाज में मानसिक सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है और शत्रु हार्ड वार के साथ-साथ सॉफ़्ट वार के साधन भी इस्तेमाल कर रहे हैं। समाज में मानसिक असुरक्षा फैलाना, सॉफ़्ट वार का एक साधन है और हम सभी ने देखा है कि वे अपने उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए साइबर स्पेस का उपयोग कैसे करते हैं।

रहबर ने अंत में सुरक्षा के क्षेत्र में शहीदों के परिवारों से कहा कि आप गर्व करें और अपने शहीदों पर फख्र करें, क्योंकि यदि वे और सुरक्षा के अन्य रक्षक न होते, तो देश और राष्ट्र के लिए अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जातीं।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .