۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
سید جعفر علوی

हौज़ा / दानिशगाह उलूम इस्लामी रजवी के संकाय सदस्य ने हज़रत फातिमा ज़हरा के कलाम मे नमाज को हल्का मानने के परिणामों, विपत्तियों पर प्रकाश डाला।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रिज़वी इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज के संकाय सदस्य हुज्जतुल-इस्लाम सय्यद जाफ़र अल्वी ने मशहद में छात्रों को संबोधित करते हुए हज़रत फातिमा ज़हरा के कलाम की रोशनी मे नमाज को हल्का समझने के महत्व और परिणाम को समझाया। 

उन्होंने कहा कि औलिया और अहले-बैत (अ) के जीवन में नमाज का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और यह हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के शब्दों और जीवन में परिलक्षित होता है।

हुज्जतुल-इस्लाम अलवी ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स) ने वाजिब नमाज के फलसफ़े को समझाते हुए कहा कि अल्लाह ने अहंकार और अभिमान से शुद्ध करने के लिए नमाज को वाजिब किया है।

उन्होंने आगे कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के जीवन में नमाज का इतना महत्वपूर्ण स्थान था कि उनका अधिकांश जीवन इसी इबादत में बीता। इतना कि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की नमाज से उनके पैर सूज गये। इससे पता चलता है कि आपने इबादत और अनुष्ठान के एक महत्वपूर्ण रूप के रूप में प्रार्थना को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।

हुज्जतुल-इस्लाम अल्वी ने कहा कि जो लोग नमाज़ को हल्का समझते हैं और उस पर ध्यान नहीं देते, उन्हें इसके नुकसान और विपत्तियों के प्रति सचेत रहना चाहिए। हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) ने अपने पिता हज़रत मुहम्मद (स) से पूछा कि जो व्यक्ति नमाज़ को हल्का समझता है उसके लिए क्या सज़ा है? तो पैगंबर (स) ने कहा कि ऐसे व्यक्ति के लिए 15 विपत्तियां हैं, जिनमें से 6 विपत्तियां इस दुनिया में होंगी और बाकी पुनरुत्थान के दिन, जैसे मृत्यु के समय, कब्र में, और पुनरुत्थान के दिन।

उन्होंने दुनिया में नमाज को हल्के में लेने के नुकसान के बारे में बताया कि इससे इंसान की जिंदगी और माल की बरकतें खत्म हो जाती हैं यानी उसका माल और जिंदगी बिना किसी फायदे के बर्बाद हो जाती है। दूसरा नुकसान यह है कि नमाज़ को हल्के में लेने से इंसान का चेहरा नेक से अलग हो जाता है और उसकी दुआएं आसमान तक नहीं पहुंचतीं।

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