गुरुवार 30 जनवरी 2025 - 17:17
गांधी जी की निर्दयतापूर्वक हत्या और उसके कारण

हौज़ा / 30 जनवरी 1948 भारतीय इतिहास का एक काला दिन है, जब महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी। यह एक अजीब बात है कि 26 जनवरी से 30 जनवरी के बीच केवल चार दिन का अंतर है। 26 जनवरी को जितने धूमधाम से मनाया जाता है, 30 जनवरी को उतना ही नजरअंदाज किया जाता है। क्या डर है इस दिन को मनाने में?

लेखकः सय्यद नजीबुल हसन ज़ैदी

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी,  30 जनवरी 1948 भारतीय इतिहास का एक काला दिन है, जब महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी। यह एक अजीब बात है कि 26 जनवरी से 30 जनवरी के बीच केवल चार दिन का अंतर है। 26 जनवरी को जितने धूमधाम से मनाया जाता है, 30 जनवरी को उतना ही नजरअंदाज किया जाता है। क्या डर है इस दिन को मनाने में?

कहीं यह आत्मा की बीमारी तो नहीं है, कि अगर गांधी जी की हत्या पर उनकी याद मनाई जाएगी, तो लोग कल के गोडसे के साथ आज के चलते-फिरते गोडसों पर भी लानत भेजेंगे? गांधी जी ने सही कहा था, "डर शरीर की बीमारी नहीं, आत्मा की बीमारी है।"

गांधी जी को किसने और क्यों मारा?

30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी को नई दिल्ली में एक हिंदू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना बिरला हाउस (Birla House) के परिसर में हुई, जहां गांधी जी रोज़ शाम की प्रार्थना के लिए एकत्र होते थे।

हत्या का कारण:

महात्मा गांधी की अगुआई में भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, लेकिन स्वतंत्रता के साथ ही भारत का विभाजन हुआ, जिससे बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगे हुए। गांधी ने अहिंसा और शांति का समर्थन करते हुए हिंदू और मुसलमानों के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश की, जिस पर कुछ कट्टर हिंदू विरोधी थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगियों का मानना था कि गांधी मुसलमानों का समर्थन कर रहे थे और भारत को कमजोर कर रहे हैं, खासकर तब जब भारत ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया था। इस निर्णय से इन कट्टरपंथियों का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने गांधी जी को रास्ते से हटाने का निर्णय लिया। इस प्रकार, भारत के इतिहास का काला दिन गांधी जी की हत्या के रूप में सामने आया।

गांधी जी की हत्या पर एक दृष्टि:

30 जनवरी 1948 को शाम 5:17 बजे, गांधी बिरला हाउस के बाग में अपनी रोज़ाना की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। जब वह लोगों के बीच से गुजर रहे थे, नाथूराम गोडसे पास आकर उन्हें तीन गोलियां मार दीं। गांधी तुरंत गिर पड़े और कहा, "हे राम!" (यह उनके आखिरी शब्द माने जाते हैं, हालांकि कुछ लोगों को इस पर विवाद है)। उन्हें तुरंत बिरला हाउस के अंदर ले जाया गया, लेकिन कुछ ही समय बाद उनका निधन हो गया।

नाथूराम गोडसे और उसका मुकदमा:

गोडसे को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, और उसके सहयोगियों सहित उस पर मुकदमा चलाया गया। 8 नवंबर 1949 को उसे फांसी की सजा सुनाई गई और 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई।

प्रतिक्रिया और असर:

गांधी की हत्या ने पूरे भारत को हिला दिया। उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र से संबोधन करते हुए कहा, "हमारे देश की जो चमकदार ज्योति थी, वह बुझा दी गई है।"

लाखों लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए, और दुनियाभर में उनकी हत्या की निंदा की गई। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर प्रतिबंध लगा दिया गया, क्योंकि गोडसे इस संगठन से जुड़ा हुआ था।

गांधी जी की हत्या ने शांति पसंद और जागरूक व्यक्तियों के लिए भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ जीने का एक नया अध्याय खोल दिया। उनका कहना था कि चाहे आपको मार दिया जाए, लेकिन देश की सुरक्षा और अखंडता इसी में है कि हम भाईचारे के साथ रहें और अपने सिद्धांतों से समझौता न करें। यही वजह है कि उनकी अहिंसा की शिक्षाएं आज भी केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में याद की जाती हैं।

हत्या के कारण और प्रेरणाएं:

गांधी जी की हत्या की दर्दनाक कहानी भारतीय इतिहास में एक दुखद दिन के रूप में याद की जाती है, जिसने एक महान नेता की जिंदगी को समाप्त कर दिया, लेकिन उनके सिद्धांतों और विचारों को हमेशा के लिए अमर बना दिया।

महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे एक कट्टर हिंदू संगठन हिंदू महासभा से जुड़ा हुआ था, जिसकी उग्रवादी सोच ने इस काले दिन की नींव रखी, जिसे हम 30 जनवरी को गांधी जी की हत्या की बरसी के रूप में याद करते हैं।

गांधी जी की हत्या के पीछे कई कारण और प्रेरणाएं थीं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख कारणों की ओर इशारा किया जा सकता है:

  1. भारत का विभाजन और पाकिस्तान का समर्थन:

गांधी जी ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया था और भारत के विभाजन को रोकने की कोशिश की थी। इन सब बातों के बावजूद भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया, जिसके कारण कुछ हिंदू राष्ट्रवादी नाराज थे। गोडसे और उसके समर्थक मानते थे कि गांधी मुसलमानों का समर्थन करके हिंदुओं के साथ अन्याय कर रहे थे।

  1. पाकिस्तान को वित्तीय सहायता का समर्थन:

गांधी ने भारतीय सरकार पर जोर दिया कि वह पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दे, जो विभाजन के समय तय हुआ था। गोडसे और उसके साथियों को लगा कि गांधी भारत के हितों के बजाय पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हैं।

55 करोड़ रुपये का संदर्भ:

1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय ब्रिटिश सरकार के द्वारा तय किए गए समझौते के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य और वित्तीय संपत्तियों का वितरण किया जाना था। कुल 75 करोड़ रुपये में से भारत को 20 करोड़ रुपये पाकिस्तान को तुरंत देने थे, जबकि बाकी 55 करोड़ रुपये बाद में दिए जाने थे।

  1. हिंदू राष्ट्रवाद का विरोध:

गांधी का दर्शन अहिंसा, सबके लिए समानता और साम्प्रदायिक सौहार्द पर आधारित था, जबकि गोडसे और उसके समर्थक एक हिंदू राष्ट्र के निर्माण के पक्षधर थे। उन्हें लगा कि गांधी के विचार हिंदू राष्ट्रवाद के खिलाफ हैं और हिंदुओं को कमजोर कर रहे हैं।

  1. गांधी जी का मुसलमानों के प्रति नरम रवैया:

गांधी जी ने कई मौकों पर मुसलमानों के प्रति सहानुभूति दिखाई थी, जैसे कि उन्होंने मुस्लिम लीग के साथ बातचीत की थी और हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत की थी, जिसे कुछ हिंदू कट्टरपंथी भारत के हितों के खिलाफ मानते थे।

  1. हिंदू महासभा और आरएसएस की भूमिका:

नाथूराम गोडसे का संबंध हिंदू महासभा से था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ा हुआ था। ये संगठन गांधी की नीतियों से नाराज थे और उन्हें हिंदू हितों के लिए हानिकारक मानते थे।

यदि समग्र रूप से देखा जाए तो गांधी जी की हत्या एक उग्रवादी विचारधारा के तहत की गई थी, जिसकी जड़ें साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद में थीं। हालांकि गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, कुछ लोग उन्हें भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ मानते थे। इस हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया और 15 नवंबर 1949 को उसे फांसी दे दी गई। गांधी जी सिद्धांतों के रास्ते में मारे गए, लेकिन उनका अहिंसा और प्रेम का दर्शन आज भी दुनिया में जीवित है।

 फ़ुटनोट

حواشی :

( 1)Who Killed Gandhi" by Manohar Malgonkar (2008): Page 184

(2) "Why I Killed Gandhi" by Nathuram Godse: Page 2

(3)in 1948 by a militant Nathuram Godse, on the basis of his 'weak' accommodationist approach towards the new state of Pakistan." (p. 544)

(4)Robinson؛ Michael York (2008)۔ Encyclopedia of Hinduism۔ Taylor & Francis۔ ص 544۔ ISBN:978-0-7007-1267-0۔ 2018-

पूर्ण जानकारी के लिए देखे:

assassination of Gandhi

Todd, Anne M. (2012) Mohandas Gandhi, Infobase Publishing, ISBN 1-4381-0662-9, p. 8:

Mohandas K Gandhi, Autobiography chapter 1 (Dover edition,)

Renard, John (1999)۔ Responses to One Hundred and One Questions on Hinduism By John Renard۔ ص 139۔ ISBN:978-0-8091-3845-6

Fischer, Louis (1954)۔ Gandhi:His life and message for the world. Mentor

Tendulkar, D. G. (1951)۔ Mahatma volume 1. Delhi: Ministry of Information and Broadcasting, Government of india

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