शनिवार 1 फ़रवरी 2025 - 11:04
इस्लामी सोच और धार्मिक प्रचार का मूल आधार क़ुरआन की आयतों और अहले बैत (अ) के सिद्धांतों पर होना चाहिए

हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुबहानी ने कहा: "इस्लामी सोच और धार्मिक प्रचार का मुख्य आधार क़ुरआन की आयतों और अहले बैत (अ) के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। इसलिए, क़ुरआन के सेवकों को सबसे पहले अपनी क़ुरआनी शिक्षा को मजबूत करना चाहिए ताकि वे किसी भी विषय या बहस में क़ुरआन की आयतों के हवाले से शुबहात (संदेहों) को दूर कर सकें।"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुबहानी का संदेश शुक्रवार 1 फरवरी को मुर्तजा नजफ़ी क़ुद्सी द्वारा क़ुरआन के सेवकों के सम्मेलन में पढ़ा गया।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

"هوالذی بعث فی الامیین رسولا منهم یتلو علیهم آیاته و یزکیهم و یعلمهم الکتاب والحکمه وان کانو من قبل لفی ضلا ل مبین हुवल लज़ी बआसा फ़िल उम्मीयीना रसूलन मिन्हुम यतलू अलैहिम आयातेहि व यतलू आयातेहि व योज़क्कीहिम व योअल्लेमोहोमुल किताबा वल हिक्मता व इन कानू मिन कब्लो लफ़ी ज़लालिम मुबीन ।"

क़ुरआन के सेवकों की एकता और विचारों का मिलना मशहद मुक़द्दस मे और पैगंबर मुहम्मद (स) की बेअसत के शुभ दिन पर एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो इस्लामी समाज में धार्मिक और क़ुरआनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करने का एक अद्भुत मौका है।

पैगंबर मुहम्मद (स) की बेअसत का मुख्य उद्देश्य क़ुरआन की आयतों का पाठ, इस्लामी शरीयत के आदेशों का स्पष्ट करना, मुसलमानों का शुद्धिकरण और क़ुरआन और ईश्वर की हिकमत सिखाना था।

यह यात्रा क़ुरआन की आयतों के साथ शुरू हुई, और 23 वर्षों के पैगंबर के कार्यकाल में कुल 6236 आयतें जिब्रईल अमीन द्वारा नाज़िल हुईं, और उनकी कड़ी मेहनत का लक्ष्य उन आयतों का स्पष्टिकरण और इंसानियत का शुद्धिकरण था।

यह स्पष्ट है कि इस्लामी सोच और धार्मिक प्रचार का मुख्य आधार क़ुरआन की आयतों और अहले बैत (अ) के सिद्धांतों पर होना चाहिए, इसलिए क़ुरआन के सेवकों को सबसे पहले अपनी क़ुरआनी शिक्षा को मज़बूत करना चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार के संदेह का समाधान क़ुरआन की आयतों से कर सकें।

लेकिन पैगंबर की शान केवल आयतों के पाठ तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उनका कार्य लोगों का शुद्धिकरण और नैतिक सुधार भी था।

एक क़ुरआन के शिक्षक को क़ुरआन की रोशनी से अपने आप को शुद्ध करना चाहिए, और जब तक वह खुद पवित्र और ईश्वर से डरने वाला नहीं होगा, तब तक वह क़ुरआन के सेवा का दावा नहीं कर सकता।

क़ुरआन के सेवकों का चयन सालाना अवसर प्रदान करता है, जिससे क़ुरआन के कार्यकर्ताओं को क़ुरआनी गतिविधियों को और अधिक गहराई से बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए।

क़ुरआन और अहले बैत (अ) का सेवा कार्य एक पवित्र पेड़ की तरह होना चाहिए, जिसकी जड़ें मजबूत और शाखाएं आसमान तक फैली हों।

क़ुरआन और अहले बैत (अ) की सेवा का गौरव इस सेवा को और भी प्रेरित करेगा, और मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपके इस सम्मेलन का हर एक पल आपके देश और समाज के लिए शुभ और लाभकारी हो।

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