मंगलवार 4 फ़रवरी 2025 - 19:30
हज़रत अब्बास ने भाई के लिए जान कुर्बान कर वफ़ा की बेहतरीन मिसाल कायम की

हौज़ा / डॉ. सय्यद शहवार नक़वी ने अपने संबोधन में कहा कि हज़रत अब्बास अलमदार भले ही मासूम नहीं थे लेकिन उन्होंने इतनी पाक और निष्कलंक ज़िंदगी गुज़ारी कि उनके दामन पर तरक-ए-ऊला का कोई दाग़ नहीं था कर्बला के मैदान में उन्होंने अपने भाई के लिए जान कुर्बान कर यह बताया कि भाई भाई की जान लेने के लिए नहीं, बल्कि भाई पर जान निसार करने के लिए होता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , अमरोहा भारत में हज़रत अबू अब्बास अ.स. की विलादत के मुबारक मौके पर अज़ाख़ाना मोहल्ला जाफ़री में अपने संबोधन के दौरान डॉ. सैयद शहवार नक़वी ने कहा कि हज़रत अब्बास अ.स.ने अपनी ज़िंदगी में अद्भुत पाकीज़गी और वफ़ादारी का परिचय दिया।

उनके दामन पर कोई ऐब नहीं था, और कर्बला के मैदान में उन्होंने भाई के लिए अपनी जान देकर यह साबित किया कि सच्चा भाई वही होता है, जो अपने भाई पर सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार हो।

उन्होंने आगे कहा कि आज के दौर में, जब भाई ही भाई का दुश्मन बना हुआ है हमें हज़रत अब्बास अ.स. की सीरत को दुनिया के सामने पेश करना चाहिए, ताकि लोग उनके किरदार को अपना आदर्श बना सकें।

हज़रत अब्बास अ.स. ने अपने अमल से यह दिखा दिया कि भाई एक अनमोल रिश्ता है, जिसके लिए इंसान को अपनी जान की भी परवाह नहीं करनी चाहिए।

लेकिन आज के समाज में यह देखने को मिलता है कि संकट के समय भाई ही भाई का साथ छोड़ देता है, जबकि हज़रत अब्बास अ.स.की कुर्बानी क़यामत तक भाईचारे के लिए मिसाल बनी रहेगी।

अंत में उन्होंने कहा कि हमें हज़रत अब्बास अ.स.की विलादत के दिन को यौम-ए-बरादर (भाई दिवस) के रूप में मनाना चाहिए ताकि भाईचारे की अहमियत को समझा जा सके और भाई अपने कर्तव्यों को सही ढंग से निभाने के लिए प्रेरित हो सकें।

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