हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , सऊदी अरब ने ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के फ़िलिस्तीनियों के निष्कासन संबंधी बयान को सख़्ती से खारिज करते हुए इसे ग़ाज़ा में जारी ज़ायोनी सेना के बर्बर अपराधों से ध्यान हटाने की नाकाम कोशिश क़रार दिया है।
सऊदी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि फ़िलिस्तीनी जनता अपनी भूमि के वास्तविक वारिस हैं और ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाली ताक़तों को यह हक़ नहीं है कि वे जब चाहें उन्हें ज़बरदस्ती बेदख़ल करें।
बयान में आगे कहा गया कि अरब और इस्लामी देश फ़िलिस्तीन के मुद्दे को अपनी प्राथमिकता मानते हैं और किसी भी ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे जो फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों को कुचले।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, नेतन्याहू के हालिया विवादित बयान का उद्देश्य इसराइली राज्य के उन अत्याचारों को छुपाना है, जिनके चलते ग़ाज़ा में अब तक 1,60,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और घायल हो चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में मासूम बच्चे और महिलाएँ शामिल हैं।
सऊदी अरब ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इसराइल की उग्रवादी सोच न सिर्फ़ क्षेत्र में शांति स्थापित करने में सबसे बड़ी रुकावट है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन भी कर रही है।
बयान के अंत में सऊदी अरब ने स्पष्ट किया कि फ़िलिस्तीनी जनता को अपने भविष्य का निर्णय ख़ुद करने का अधिकार है इसलिए वास्तविक और स्थायी शांति केवल तभी संभव होगी जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय न्याय और दो-राष्ट्र समाधान के सिद्धांत को स्वीकार करेगा।
ग़ौरतलब है कि बिन्यामिन नेतन्याहू ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सऊदी अरब की दो-राष्ट्र समाधान" की पहल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि सऊदी अरब अपनी "विस्तृत भूमि" पर एक फ़िलिस्तीनी राज्य स्थापित कर सकता है, जिसके बाद अरब और इस्लामी जगत से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई।
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