सोमवार 10 फ़रवरी 2025 - 06:50
मीडिया और कला क़ुरआनी संस्कृति के विकास और प्रचार पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं

हौज़ा / ईरान के हुरमुज़गान प्रांत में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने कहा: मीडिया और कला अपनी विशिष्ट क्षमताओं के माध्यम से क़ुरआनी संस्कृति के विकास और प्रचार पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के हुरमुज़गान प्रांत में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन मोहम्मद ऐबादी ज़ादे ने हुरमुज़गान में क़ुरआनी संगठनों के साथ आयोजित एक महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा: क़ुरआनी आंदोलन को बढ़ावा देने और क़ुरआनी गतिविधियों को जनता तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा: हमें देश और हुरमुज़गान प्रांत में एक ऐसी क़ुरआनी आंदोलन की आवश्यकता है, जो तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक इसके लिए गंभीर इरादा, स्पष्ट कार्ययोजना और जनता व अधिकारियों का व्यापक समर्थन न हो।

हुज्जतुल इस्लाम ऐबादी ज़ादे ने कहा: अगर क़ुरआनी गतिविधियां सार्वजनिक जीवन में शामिल नहीं होतीं और केवल सरकारी संस्थाओं तक सीमित रहतीं तो उनका प्रभाव कम हो जाएगा। इसलिए मस्जिदों, विश्वविद्यालयों और मोहल्लों में क़ुरआनी बहसों और संवादों के समूह बनाये जाने चाहिए, ताकि क़ुरआन लोगों के रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन सके।

हुरमुज़गान में वली फ़कीह के प्रतिनिधि ने एक नए क़ुरआनी प्रोजेक्ट "आयात के साथ जीवन" की शुरुआत की घोषणा की और कहा: इस प्रोजेक्ट में 200 चयनित आयतों को हिफ़्ज़ कराया जाएगा, साथ ही ज्ञानात्मक बहसें भी शामिल होंगी, और रमजान के महीने में इसे व्यापक रूप से लागू किया जाएगा।

उन्होंने मीडिया और कला की भूमिका पर जोर देते हुए कहा: फिल्म, रंगमंच, खत्ताती (कलिग्राफी) और शहरी डिजाइन जैसी कलाएँ क़ुरआनी संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।

हुज्जतुल इस्लाम ऐबादी ज़ादे ने कहा: रेडियो और टेलीविजन को क़ुरआनी कार्यक्रमों के लिए अधिक समय देना चाहिए, ताकि समाज में क़ुरआनी शिक्षाओं का गहरा प्रभाव उत्पन्न हो सके।

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