हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,पन्द्रहवीं शब के आमाल की फज़ीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है।
इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए
इन को अदा करने के दो तरीके हैं
👉पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े
दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े
👉इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️
👉दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह )
👉और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े
👉अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️
👉 सुब्हानाल्लाह
👉अल्हम्दो लिल्लाह
👉अल्लाहो अकबर
👉ला इलाहा इल्लल्लाह
👉इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ: स:) ने फर्माया इस रात सौ बार सुब्हानल्लाह , सौ बार अल्हम्दो लिल्लाह , सौ बार अल्लाहो अकबर और सौ बार ला इलाहा इल्लल्लाह कहने का बहुत सवाब है
👉फिर इस के बाद में एक तस्बी दुरुद-ए-पाक की अदा करनी है
👉फिर अल्लाह से हाजत तलाब करे
👉फिर इस के बाद एक तस्बी(अस्तग़फेरूल्लाहल्लज़ी ला इलाहा इल्ला होवर्रहमानुर्रहीमुल हय्युल कय्यूमो व अतूबो इलैह ) या फिर ( अस्तगफेरुल्लाह रब्बी व अतूबो इलैह ) की पढ़े
👉 फिर इस के बाद में एक तस्बी सूर-ए-कद्र यानी सूर-ए-इन्ना अनजलना की पढ़े
👉और फिर इस के बाद में दो रकात नमाज़-ए-हाजत पढ़े
👉और फिर इस के बाद में दो रकात नमाज़ ( जियारत-ए-इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ) पढ़े
👉और फिर इस के बाद में दो रकात नमाज़ ( जियारत-ए-इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम ) पढ़े
👉और फिर तस्बी-ए-फातिफा पढ़े
🙏🏽फिर अपनी हाजत तलाब करे अल्लाह से
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