हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इमाम जुमआ बाना मौलवी अब्दुर्रहमान खुदाई ने माहे रमज़ान की मुबारकबादी देते हुए कहा है कि यह महीना मुसलमानों के लिए सबसे बाबरकत और अज़ीम महीनों में से एक है, जिसमें बेहिसाब रहमतें और बरकतें छुपी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि अल्लाह तआला ने रमज़ान को अपने बंदों के लिए तौबा और क़ुर्ब-ए-इलाही का सुनहरी मौका बनाया है इस महीने में इंसान को चाहिए कि हर लम्हा अल्लाह की तरफ रुजू करे, कुरआन मजीद की तिलावत करे और उसके पैग़ाम पर ग़ौर व फिक्र करे क्योंकि यही महीना कुरआन के नुज़ूल का महीना है।
उन्होंने रमज़ान को खुद शनासी और आज़िज़ी सीखने का बेहतरीन मौका क़रार देते हुए कहा कि यह महीना हमें अपनी हकीकत और अल्लाह की बेपनाह कुदरत को समझने का मौका देता है यह हमें याद दिलाता है कि हम अल्लाह के मोहताज हैं और उसकी रहमत के बिना कुछ भी नहीं।
उन्होंने आगे कहा कि रमज़ान इत्तेहाद (एकता) और भाईचारे का महीना भी है इस महीने में तमाम मुसलमान, चाहे वे शिया हों या सुन्नी, एक ही मकसद के तहत इबादत करते हैं और वह मकसद अल्लाह की रज़ा और उसकी क़ुर्बत हासिल करना है।मौलवी खुदाई ने मुसलमानों को याद दिलाया कि रमज़ान के दौरान ग़रीबों और मोहताजों का खास ख्याल रखना चाहिए।
आखिर में उन्होंने कहा कि रमज़ान का सबसे बड़ा पैग़ाम खुदा-शनासी, आज़िज़ी और मुसलमानों के दरमियान इत्तेहाद है और आज उम्मत-ए-मुस्लिमा को इस वहदत (एकता) की पहले से ज्यादा ज़रूरत है।
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