हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित परंपरा "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام المجتبی علیه السلام:
البُخْلُ أَنْ يَرَى الرَجُلُ ما أَنْفَقَهُ تَلِفاً وَأَمْسَكَهُ شَرَفاً
इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने फ़रमाया:
कंजूसी तब होती है जब व्यक्ति जो कुछ खर्च करता है उसे व्यर्थ और बरबादी समझता है, और जो कुछ जमा करता है उसे सम्मान समझता है।
बिहार उल-अनवार, भाग 71, पेज 417, हदीस 38
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