हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الرضا علیہ السلام:
مُؤمِنُ اِذا غَضِبَ لَمْ یُخْرِجْهُ غَضَبُهُ عَنْ حَقٍّ، وَ اِذا رَضِیَ لَمْ یُدْخِلْهُ رِضاهُ فی باطِلٍ، وَ اِذا قَدَرَ لَمْ یَأْخُذْ اَکْثَرَ مِنْ حَقِّه
इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया:
जब कोई मोमिन क्रोधित होता है तो उसका क्रोध उसे सत्य से भटका नहीं देता, और जब वह प्रसन्न होता है तो उसकी प्रसन्नता उसे असत्य की ओर नहीं ले जाती, और जब वह शक्तिशाली होता है तो अपने अधिकार से अधिक नहीं लेता।
बिहार उल अनवार, भाग 75, पेज 355
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