हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, नजफ़ अशरफ़ के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सद्रुद्दीन क़बांची ने अपने जुमा के ख़ुतबे में कहा,हम अमेरिका से कहते हैं हम मुसलमान हैं और कभी भी ग़ुलामी या हार को स्वीकार नहीं करते क्योंकि हमारा नारा है,हैहात मिन्ना ज़िल्ला' (हम से ज़िल्लत बहुत दूर है)।
उन्होंने इराक़ में हाल ही में दिए गए फिरकावाराना बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे शब्द जो दूसरों को हाशिए पर डालें या नफ़रत फैलाएँ, वे न सिर्फ़ अस्वीकार्य हैं बल्कि जवाबदेही के योग्य भी हैं। उन्होंने कहा कि इराक़ इस समय राजनीतिक समरसता के दौर में है, और सांप्रदायिक बयानबाज़ी देश को दोबारा संकट में डाल सकती है।
ईरान के बंदर अब्बास हादसे पर उन्होंने ईरानी सरकार और जनता से संवेदना व्यक्त की और इसे लापरवाही का नतीजा बताया उन्होंने इस पर ईरान से एकजुटता दिखाने के लिए इराक़ी प्रधानमंत्री की फोन कॉल का आभार भी जताया।
ईरान और कुवैत के बीच हालिया तनाव पर उन्होंने चरमपंथी बयानों की निंदा करते हुए कानूनी रास्ते से मसले को सुलझाने की बात कही ईरान अमेरिका के बीच रुके हुए वार्ता के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका पाबंदियाँ और बढ़ाने की धमकी दे रहा है, मगर हम अल्लाह के वादे पर भरोसा रखते हैं कि अंततः हमें सफलता मिलेगी।
शहीद आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सादिक़ सद्र की बरसी पर उन्होंने उनका यह वाक्य याद दिलाया,दीन और मज़हब की ज़िम्मेदारी तुम पर है।उन्होंने कहा कि यही ज़िम्मेदारी का एहसास है जिसने आज तक इस्लाम और शिया मज़हब को ज़िंदा रखा है।
अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर उन्होंने कहा कि इस्लाम काम को बहुत अहमियत देता है। पैग़ंबर-ए-इस्लाम (स.ल.) ने बेकार मोमिन को नापसंद फ़रमाया है। उन्होंने सरकार से कहा कि नौजवानों को रोज़गार के अवसर देने चाहिए, और नौजवानों को सिर्फ़ नौकरी तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि खुद रोज़गार का रास्ता अपनाना चाहिए।
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