गुरुवार 15 मई 2025 - 08:06
शरई अहकाम । असली वतन और नए रहने की जगह में नमाज़ का हुक्म

हौज़ा / ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने "असली वतन और नए रहने की जगह में नमाज़ के हुक्म" के बारे में पूछे गए सवाल का जवाद दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने "असली वतन और नए रहने की जगह में नमाज़ के हुक्म" के बारे में पूछे गए सवाल का जवाद दिया है। शरई मसाइल मे रूचि रखने वालो के लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का मूल पाठ प्रस्तुत कर रहे है।

* असली वतन और नए रहने की जगह में नमाज़ का हुक्म

सवालः कोई व्यक्ति अपने असली वतन से दूसरे शहर गया है और वहाँ कुछ साल रहने वाला है। उसे लगता है कि वह फिर से अपने वतन वापस भी जा सकता है। अगर वह हर हफ्ते अपने वतन जाकर अपने रिश्तेदारों से मिलने जाता है, तो उसके दोनों शहरों में नमाज़ का क्या हुक्म होगा?

उत्तर: उसकी नमाज़ दोनों शहरों में पूरी होगी।

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