रविवार 25 मई 2025 - 09:27
शरई अहकाम । मज़ाक़ मे झूठ बोलने का हुक्म

हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने "मज़ाक़ में झूठ बोलने" के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने "मज़ाक़ में झूठ बोलने" के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दिया है। शरई अहकाम मे रुचि रखने वालों के लिए पूछे गए सवाल और उसका जवाब प्रस्तुत किया जा रहा है।

* मज़ाक़ मे झूठ बोलने का हुक्म

सवाल:
क्या मज़ाक में झूठ बोलना गलत है? जैसे दोस्तों के बीच मज़ाक में कहना कि यह कंपनी मेरी है (हालांकि यह सच नहीं है)। क्या इस तरह की बातें बोलना पाप और झूठ माना जाएगा?

जवाब:
अगर बोलने वाले का मक़सद यह हो कि सुनने वाला उस झूठी बात को सच मान ले, तो यह हराम (निषिद्ध) है, भले ही बोलने वाला मज़ाक कर रहा हो। लेकिन अगर बोलने वाले का ऐसा कोई मकसद न हो और सुनने वाला समझ जाए कि यह सिर्फ मज़ाक है, तो यह हराम नहीं है।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha