बुधवार 21 मई 2025 - 17:59
आध्यात्मिक उत्थान, अरबईन ज़ायरीनों की सेवा का असल उद्देश्य है: हुज्जतुल इस्लाम मूसीवी फ़र्द

हौज़ा/ ख़ूज़िस्तान में प्रतिनिधि-ए-वली-ए-फ़क़ीह हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद नबी मूसीवी फ़र्द ने कहा है कि अरबेईन हुसैनी के ज़ायरीन की ख़िदमत, ख़ास तौर पर उनके खाने और रहने का इंतज़ाम, दरअस्ल इमाम हुसैन अ.स. की ज़ियारत के उस बुलंद मकसद यानी क़ुर्ब-ए-इलाही को हासिल करने का एक ज़रिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ख़ूज़िस्तान में प्रतिनिधि-ए-वली-ए-फ़क़ीह हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मदनबी मूसीवी फ़र्द ने कहा है कि अरबईन हुसैनी के ज़ायरीनों की सेवा ख़ास तौर पर उनके खाने और रहने का इंतज़ाम, दरअसल इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत के उस ऊँचे मकसद यानी क़ुर्ब-ए-इलाही को पाने का एक ज़रिया है।

अहवाज़ स्थित फ़ज्र कॉम्प्लेक्स के इमाम ख़ामेनेई हॉल में आयोजित अरबईन हुसैनी के मवाक़िब का पहला बड़ा इज्तिमा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,जब कोई ज़ायिर अतबात आलिया (पवित्र इराक़ी तीर्थ स्थलों) की ज़ियारत का सौभाग्य पाता है, तो अरबईन के सेवक उसके लिए सुकून और इत्मीनान का वातावरण प्रदान करते हैं ताकि वह ज़ियारत की रूहानी फज़ा से पूरी तरह लाभ उठा सके।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भोजन और ठहरने जैसी भौतिक सेवाएं महज़ एक माध्यम हैं, ताकि ज़ायरीन असली मकसद यानी ईश्वर के क़रीब होने की ओर ध्यान दे सके। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि सिर्फ खाना-पीना और आरामदायक जगह उपलब्ध कराना ही उद्देश्य है; असल मकसद तो इंसान की आत्मिक तरक्की और उसे ख़ुदाई रास्ते की तरफ़ ले जाना है।

उन्होंने क़ुरआन की आयत "
ٱلَّذِینَ إِن مَّکَّنَّهُم فِی ٱلأَرضِ..."
के हवाले से इस्लामी निज़ाम की चार अहम ज़िम्मेदारियों में से सबसे पहली ज़िम्मेदारी नमाज़ क़ायम करने को बताया और कहा,नमाज़ एक इंसान बनाने वाली फैक्ट्री है और यह हमें याद दिलाती है कि दीन (धर्म) की तालीमात का मकसद इंसान के अंदरूनी हालात को बदलना है।

अहवाज़ के इमाम जुमा ने ज़ोर देकर कहा कि ज़ायरीन को इस तरह की सेवा दी जाए कि जब वे वापस लौटें तो उनकी रूहानियत में साफ़ फर्क नज़र आए और वे अपनी ज़िंदगी में ख़ुदा के हुक्म को अपना रास्ता बना लें।

उन्होंने आगे कहा,इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत के लिए इतनी बड़ी सवाब (पुण्य) इसलिए रखी गई है क्योंकि यह इंसान की सीरत और किरदार में तबदीली लाती है।

अरबईन हुसैनी एक ऐसा अवसर है जो व्यक्ति और समाज दोनों की ज़िंदगी को बदलने की कूवत रखता है। और यही तबदीली, इमाम ज़माना (अ.ज.त.फ.श.) के ज़ुहूर (प्रकट होने) के लिए ज़मीन तैयार कर सकती है।

ग़ौरतलब है कि इस बड़े इज्तिमा में ख़ूज़िस्तान, यज़्द, चाहारमहाल व बख़्तियारी, कोहगीलूये व बोयरअहमद और बुशहर प्रांतों के 800 से ज़्यादा मवाक़िब के आयोजक शामिल हुए।

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