शनिवार 20 दिसंबर 2025 - 17:23
इंसान की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं की असली वजह ख़ुदा नहीं, बल्कि इंसान की अपनी ग़लत सोच हैं

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैन अंसारियान ने क़ुरआन करीम और अहले बैत अलैहिमुस्सलाम की शिक्षाओं के आलोक में कहा है कि इंसान को दरपेश ज़्यादातर आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याएँ ख़ुदा की मंशा का नतीजा नहीं होतीं, बल्कि इंसान के अपने व्यवहार और ख़ुदा, कायनात और ज़िंदगी के बारे में ग़लत सोच का परिणाम हैं। वास्तविक सफलता सोच की सुधार, लोगों के अधिकारों की रक्षा, यतीम और निर्धनों की देखभाल तथा धन-संपत्ति की मोहब्बत और गुलामी से मुक्ति में निहित है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , तेहरान में हुसैनिया आयतुल्लाह अलवी तेहरानी में आयोजित एक अख़्लाक़ी प्रवचन को संबोधित करते हुए उस्ताद अंसारियान ने कहा कि बहुत से लोग जैसे ही हल्के आर्थिक या सामाजिक दबाव का सामना करते हैं, ख़ुदा को दोष देना शुरू कर देते हैं, जबकि क़ुरआन स्पष्ट रूप से बताता है कि यह सोच ग़लत है। इंसान की परेशानियों की असली वजह उसके अपने चुनाव, रवैये और दृष्टिकोण होते हैं।

उन्होंने अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की एक रिवायत का हवाला देते हुए कहा कि इमाम (अ.स.) ने सफलता के तीन मार्ग बताए हैं, जिन पर चलकर हर इंसान चाहे वह किसी भी उम्र या हालत में हो कामयाब हो सकता है। इन मार्गों की बुनियाद इंसान की सोच और नज़रिए पर है।

उस्ताद अंसारियान के अनुसार, इंसान की दृष्टि या तो सकारात्मक होती है या नकारात्मक, और सकारात्मक दृष्टि केवल क़ुरआन और अहले बैत (अ.स.) की शिक्षाओं से प्राप्त होती है। जो व्यक्ति क़ुरआन के साथ जीवन जीता है, वह सबसे कठिन परिस्थितियों में भी ख़ुदा पर आरोप नहीं लगाता, जबकि क़ुरआन से दूरी इंसान को निराशा और बदगुमानी की ओर ले जाती है।

उन्होंने सूरह फ़ज्र की आयतों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति सम्पन्नता के बाद तंगी में पड़ता है तो कहता है कि ख़ुदा ने मुझे अपमानित कर दिया, जबकि क़ुरआन तुरंत इस सोच को रद्द करता है। ख़ुदा इंसान को ज़लील करने के लिए इम्तिहान में नहीं डालता, बल्कि समस्याओं की जड़ कहीं और होती है।

उस्ताद-ए-अख़लाक़ ने स्पष्ट किया कि क़ुरआन दुनिया को सचेत और संवेदनशील बताता है, जो इंसान के कर्मों पर प्रतिक्रिया देती है। ज़ुल्म, अधिकारों का हनन और संवेदनहीनता अंततः जीवन में उलझनों और दबाव के रूप में सामने आते हैं। क़ुरआन समस्याओं के समाधान की कुंजी है, लेकिन इंसान आसान रास्ता अपनाते हुए ख़ुदा को दोष देने लगता है।

उन्होंने आयतुल्लाहिल उज़्मा बुरूजर्दी का एक वाक़िया बयान करते हुए कहा कि एक व्यापारी गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसकी असली वजह ख़ुम्स की अदायगी न करना निकली। जब उसने ख़ुम्स अदा किया तो न केवल उसकी समस्याएँ हल हुईं, बल्कि उसके व्यापार में बरकत भी आई।

उस्ताद अंसारियान ने सूरह फ़ज्र की रौशनी में इंसान की तबाही के चार कारण भी बताए:
यतीम का सम्मान न करना,
निर्धनों की सहायता से ग़ाफ़िल रहना,
दूसरों की विरासत को नाजायज़ रूप से हड़पना,
और धन से अत्यधिक मोहब्बत करना।

क़ुरआन कहता है कि जब दिल धन की मोहब्बत से भर जाता है, तो उसमें ख़ुदा और भलाई के लिए कोई जगह बाक़ी नहीं रहती।

अंत में उन्होंने क़ुरआन मजीद की आयत
ما أصابک من حسنة فمن الله و ما أصابک من سیئة فمن نفسک
तुम्हें जो भलाई पहुँचती है वह अल्लाह की ओर से है, और जो बुराई पहुँचती है वह तुम्हारे अपने कारण से है
की व्याख्या करते हुए कहा कि हर भलाई ख़ुदा की तरफ़ से है और हर बुराई इंसान के अपने कर्मों का नतीजा है।

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