हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , लखनऊ के इमामबाड़ा ग़ुफ़रान मआब में मुहर्रम के दस दिनों की पाँचवीं मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने विलायत-ए-अली (अ.स.) की अहमियत और फज़ीलत को क़ुरआन और हदीसों की रौशनी में पेश किया।
मौलाना ने पैग़म्बर (स.अ.व.) की मेराज का ज़िक्र करते हुए कहा कि "हुज़ूर (स.अ.व.) को मेराज इसलिए हुई ताकि अली (अ.स.) की विलायत के ऐलान का हुक्म और हज़रत फातिमा (स.अ.) के नूर को मुंतकिल किया जा सके। आयत-ए-बलग़ में जहाँ कहा गया है कि 'ऐ रसूल! वह हुक्म पहुँचा दीजिए जो हमने आप पर नाज़िल किया है तो यह वही हुक्म-ए-विलायत-ए-अली है जो मेराज के सफर पर अल्लाह की तरफ़ से दिया गया था।
मौलाना ने कहा कि याद रखिए, विलायत-ए-अली अ.स.के बिना दीन पूरा नहीं हो सकता। इसलिए अली (अ.स.) से मोहब्बत फ़र्ज़ और ईमान की जड़ है जो लोग अली (अ.स.) की दुश्मनी में मुब्तिला हैं, उनके लिए कभी नजात नहीं है।
मौलाना ने मौजूदा हालात पर बात करते हुए कहा कि हम अपने मराजे-ए-किराम की तस्वीरें लगाकर यह पैग़ाम देते हैं कि हम मज़लूमों के साथ हैं, ज़ालिमों के साथ नहीं।उन्होंने आगे कहा कि कुछ न्यूज़ चैनल ख़ुद ही ऐसे मुद्दे उठाते हैं और एतराज़ के लिए किसी अनजान का इंटरव्यू ले लेते हैं ताकि उनके चैनल की टीआरपी बढ़ जाए। इस तरह उस अनजान को भी कुछ शोहरत मिल जाती है।
मौलाना ने साफ़ कहा कि आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तस्वीर लगाना कोई क़ानूनी जुर्म नहीं है, इसलिए पुलिस से न घबराएँ। यह कुछ अफ़सर हैं जो इस्राइल की नमक-हलाली की कोशिश कर रहे हैं। अगर आज से पहले कभी मराजे-ए-किराम की तस्वीरें लगाने पर एतराज़ नहीं हुआ, तो अब क्यों हो रहा है?
इन साज़िशों से होशियार रहिए।उन्होंने दोबारा ज़ोर देकर कहा कि मैंने मराजे-ए-किराम की तस्वीरें लगाने का हुक्म दिया है। अगर पुलिस को केस दर्ज करना है, तो मेरे खिलाफ करे। लोग बेख़ौफ़ होकर तस्वीरें लगाएँ।
मजलिस के आख़िर में मौलाना ने हज़रत हुर्र (अ.स.) की तौबा और उनकी शहादत के वाक़िए को बयान किए।
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