हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , मुंबई/ ख़ोजा शिया इस्ना अशरी जामा मस्जिद, पालागली में 31 जनवरी 2025 को जुमआ की नमाज़ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी की इमामत में अदा की गई।
मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने फ़रमाया:माहे मुक़द्दस शाबान आपकी ख़िदमत में हाज़िर है और यह हज़रत रसूल-ए-ख़ुदा स.अ.व.व. का महीना है यह बरकतों का महीना है, जिसमें अल्लाह ने बड़ी बड़ी नेमतें अता की हैं हज़रत ज़ैनब (स.अ.), इमाम हुसैन सैय्यदुश्शोहदा (अ.), हज़रत अबुल फ़ज़ल अब्बास (अ.), हज़रत अली अकबर (अ.) और हज़रत इमाम-ए-ज़माना (अ.ज.फ) की विलादत इसी महीने में हुई है।
मौलाना ने आगे फ़रमाया:यह महीना बरकतों, अज़मतों और मग़फ़िरत का महीना है यह नेक आमाल और रोज़े रखने का महीना है। जो शख़्स इस महीने में रोज़ा रखेगा अल्लाह उसे जहन्नम की आग से दूर कर देगा।
इबादत की अहमियत पर तज़किरा करते हुए मौलाना ने कहा,ख़ुशी के महीने आज़ादी के नहीं बल्कि इबादत के महीने हैं ख़ुदावंदे आलम ने यह महीने इबादतों, नमाज़ों, दुआओं और इस्तग़फ़ार के लिए मुक़र्रर किए हैं।
मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने एक रिवायत बयान करते हुए कहा,तौबा जन्नत का दरख़्त है और ज़क़्क़ूम जहन्नम का दरख़्त है। जो नेकी के आमाल अंजाम देता है वह दरख़्त-ए-तूबा की शाख़ से मुतमस्सिक (लिपटा) होता है, और जो बुरे आमाल अंजाम देता है, वह दरख़्त-ए-ज़क़्क़ूम की शाख़ से जुड़ जाता है। ये शाख़ें इंसान को उसकी अस्ल तक ले जाती हैं।
अच्छी आवाज़ में अज़ान और दुआ पढ़ने पर ज़ोर देते हुए मौलाना ने कहा,रिवायात में आया है कि अज़ान देने वाला ख़ुश-लहजा हो और उसकी आवाज़ दिलों को छूने वाली हो।
मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने माहे शाबान में सलवाते शाबानिया की अहमियत को बयान करते हुए कहा,हमें अपने इमाम, अपने साहिब, अपने मौला इमाम-ए-ज़माना अ.ज.फ. की तरफ़ मुतवज्जेह रहना चाहिए और उनसे तवस्सुल करना चाहिए।
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