गुरुवार 10 जुलाई 2025 - 19:08
संसार से लगाव व्यक्ति को सत्य से दूर ले जाता है

हौज़ा / हज़रत मासूमा (स) की पवित्र दरगाह के वक्ता ने कहा: कूफ़ा के लोगों ने इमाम हुसैन (अ) को इसलिए अकेला छोड़ दिया क्योंकि उन्हें अल्लाह से ज़्यादा अपने रिश्तेदारों, धन-दौलत, व्यापार और घरों से प्यार था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल-मुसलमीन सय्यद हामिद मीर बाक़ी ने कल रात हज़रत मासूमा (स) की पवित्र दरगाह पर तकरीर मे कहा कि सूर ए तौबा की आयतें 23 और 24 मुसलमानों और ईमान वालों के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर इशारा करती हैं। कुछ लोग मुसलमान तो बन गए थे, लेकिन ईमान अभी तक उनके दिलों की गहराई तक नहीं पहुँचा था।

उन्होंने बताया कि कभी-कभी ऐसा होता था कि मुसलमानों के पिता या परिवार के अन्य सदस्य दुश्मन सेना में होते थे। और मक्का के लोगों की आजीविका कृषि नहीं, बल्कि व्यापार थी, जो बहुदेववादी तीर्थयात्रियों द्वारा किया जाता था।

हुज्जतुल इस्लाम मीर बाकरी ने आगे कहा कि जब हज़रत अली (अ) ने पैगंबर (स) के आदेश पर घोषणा की कि मुश्रिकों को मस्जिदुल अज़हर (स) में प्रवेश की अनुमति नहीं है, तो मक्का के कुछ लोग चिंतित हो गए। उन्होंने कहा कि अगर मुश्रिक नहीं आए, तो हमारा काम खत्म हो जाएगा। उस समय सूर ए तौबा की आयत 24 उतरी, जिसमें कहा गया है कि अगर तुम्हारे बेटे, पिता, भाई, पत्नियाँ, परिवार, धन, व्यापार और घर तुम्हें अल्लाह और उसके रसूल से ज़्यादा प्यारे हैं, तो अल्लाह के अज़ाब का इंतज़ार करो।

पवित्र दरगाह के इस वक्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि क़ुरान यह नहीं कह रहा है कि किसी व्यक्ति को इन रिश्तों या चीज़ों से संबंधित नहीं होना चाहिए, बल्कि मुद्दा यह है कि ये सभी अल्लाह और उसके रसूल (स) से ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं होने चाहिए। क्योंकि माता-पिता, बच्चों, पत्नी या व्यापार से प्रेम करना अल्लाह की इबादत के विरुद्ध नहीं है, जब तक कि अल्लाह का प्रेम सर्वोपरि हो।

उन्होंने कहा कि यह आयत हमें यह समझाना चाहती है कि इतिहास के महत्वपूर्ण और नाज़ुक क्षणों में, शैतान इंसान को अल्लाह और उसके रसूल की बजाय इन आठ चीज़ों को प्राथमिकता देने के लिए उकसाता है।

हुज्जतुल इस्लाम मीर बाक़ीरी ने याद दिलाया कि अगर किसी इंसान के जीवन में अल्लाह का स्थान सबसे ऊपर है, और संतान व धन उसके बाद आते हैं, तो इंसान कभी झूठ, छल या धोखाधड़ी का सहारा नहीं लेगा। क्योंकि इन सभी बुराइयों की जड़ संसार और भौतिकवाद से अत्यधिक लगाव है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी के लिए अपने बच्चों का सुख-सुविधा सबसे महत्वपूर्ण हो जाए, तो वह नाजायज़ कमाई भी कर लेगा। लेकिन अगर अल्लाह की प्रसन्नता सबसे महत्वपूर्ण है, तो वह कभी भी हराम निवाला नहीं लाएगा।

मीर बाक़ीरी ने यह भी कहा कि अगर किसी औरत के लिए अल्लाह की प्रसन्नता महत्वपूर्ण है, तो वह सिर्फ़ अपने पति की आज्ञा मानकर अवज्ञा या पाप नहीं करेगी, बल्कि अपने पति की अवांछित माँगों को अल्लाह की अवज्ञा मानकर अस्वीकार कर देगी।

अंत में उन्होंने ज़ोर देकर कहा: कूफ़ा के बहुत से लोगों ने इमाम हुसैन (अ) को पत्र लिखे थे, लेकिन जब समय आया तो उन्होंने इमाम को अकेला छोड़ दिया, क्योंकि बच्चों, परिवार, धन-संपत्ति, व्यापार और घर-गृहस्थी की मोहब्बत ने उन्हें सच्चाई के साथ खड़े होने से रोक दिया। वे इमाम (अ) के साथ शहादत स्वीकार नहीं कर सकते थे और इतिहास के सही और सच्चे मार्ग पर खड़े नहीं हो सकते थे।

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