हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "फ़ुरुअ अल-काफ़ी" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
مَنْ نَظَرَ إِلَى أَبَوَيْهِ نَظَرَ مَاقِتٍ وَهُمَا ظَالِمَانِ لَهُ لَمْ يَقْبَلِ اللهُ لَهُ صَلَاةً
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
जो कोई अपने माता-पिता को नफ़रत की नज़र से देखता है, भले ही उन्होंने उसके साथ अन्याय किया हो, अल्लाह उसकी नमाज़ क़बूल नहीं करेगा।
फ़ुरुअ अल-काफ़ी, भाग 2, पेज 350, हदीस 5
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