۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने एक रिवायत मे इमामत के महत्व और समाज में इसकी भूमिका का संकेत दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "काफ़ी" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامام الباقر علیهِ السلام:

وَ اَللَّهِ مَا تَرَكَ اَللَّهُ أَرْضاً مُنْذُ قَبَضَ آدَمَ عَلَيْهِ اَلسَّلاَمُ إِلاَّ وَ فِيهَا إِمَامٌ يُهْتَدَى بِهِ إِلَى اَللَّهِ وَ هُوَ حُجَّتُهُ عَلَى عِبَادِهِ وَ لاَ تَبْقَى اَلْأَرْضُ بِغَيْرِ إِمَامٍ حُجَّةٍ لِلَّهِ عَلَى عِبَادِهِ

हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) ने फ़रमाया:

ख़ुदा की क़सम! जिस दिन से हज़रत आदम (अ) की आत्मा कब्ज़ हुई, अल्लाह तआला ने ज़मीन को इमाम (जो लोगो को अल्लाह की ओर दावत दे) के बिना नहीं छोड़ा। वह इमाम लोगो पर अल्लाह की ओर से हुज्जत होते है और ज़मीन कभी भी खुदा के बंदो पर उसकी हुज्जत के बिना नही रह सकती। 

अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 178

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