हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने "बिना सामने वाले की जानकारी के नज़्र" के संबंध मे पूछे गए सवाल का दिया है। शरई अहकाम मे रूचि रखने वालो के लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत किया जा रहा है।
* सामने वाले की जानकारी के बिना नज़्र (मन्नत) का हुक्म
प्रश्न: अगर किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होने के लिए बिना उसकी जानकारी के नज़्र (मन्नत) किया हो, और मनोकामना पूरी होने के बाद उस व्यक्ति को नज़्र के तरीके के बारे में बताया जाए, और कहा जाए कि अब जब मनोकामना पूरी हो गई है उदाहरण स्वरूप आपको कुछ पैसा उस मस्जिद में देना होगा, तो क्या ऐसी नज्रर सही है? और क्या मुझे यह जरूर अदा करना चाहिए?
उत्तर: ऐसी नज़्र सही नहीं है और आपकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है कि आप उसे पूरा करें।
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