हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , यज़्द के मदरसे 'मदीनातुल इल्म काज़िमिया' में नए दाखिल हुए छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया में इस्लाम की इज़्ज़त बढ़ रही है और खासकर युवा यह सवाल उठा रहे हैं कि इस्लाम क्या है। यह इज़्ज़त और बुलंदी हम इमाम ख़ुमैनी के मददगार हैं, जिन्होंने क्रांति लाकर इस्लाम को नई जिंदगी बख्शी।
उन्होंने कहा कि इंसान की रचना बेकार नहीं बल्कि एक मकसद के तहत हुई है अल्लाह तआला ने पूरी ब्रह्मांड को इंसान के परिपूर्णता और कल्याण के लिए बनाया है और उसकी हिदायत के लिए पैगंबरों और इमामों को भेजा है। उलेमा इसी मिशन के वारिस हैं, उन पर ज़रूरी है कि अपनी शिक्षा और चरित्र से लोगों को अल्लाह के करीब लाएं।
आयतुल्लाह नासिरी ने ज्ञान की महानता बयान करते हुए कहा कि रिवायतों (हदीसों) में तालिबे इल्म की फज़ीलत बेहद आई है। उन्होंने छात्रों को नसीहत की कि अपनी ज़िंदगी को व्यवस्थित करें, वक्त बर्बाद न करें और अल्लाह की बंदगी को अपना मकसद बनाएं।
उन्होंने अपने छात्र जीवन के एक संस्मरण को साझा करते हुए कहा कि आर्थिक मुश्किलों के बावजूद, मैंने अपनी रोज़ी-रोटी का मामला अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया और कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। अल्लाह खुद तालिबे इल्म की रोज़ी की ज़िम्मेदारी लेता है।
अंत में, उन्होंने छात्रों पर ज़ोर दिया कि मन लगाकर पढ़ें, अल्लाह पर भरोसा रखें, अख़लाक (नैतिकता) को सुधारें, गुनाहों से बचें और सिर्फ हलाल चीज़ों पर ही संतोष करें। साथ ही इबादत, मनोरंजन और व्यायाम को भी जीवन का हिस्सा बनाएं ताकि एक संपूर्ण और उपयोगी इंसान बन सकें।
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