हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहार अल-अनवर" पुस्तक से उद्धृत की गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول اللہ صلی اللہ علیه وآله:
أَبَى اللّهُ لِصاحِبِ الْخُلْقِ السَّیِّءِ بِالتَّوبَةِ. فَقِيلَ: یا رَسولَ اللّهِ، وَ کَیْفَ ذلِکَ؟ قالَ: لِأَنَّهُ إِذا تابَ مِنْ ذَنبٍ وَقَعَ فِي أَعْظَمَ مِنَ الذَّنبِ الَّذِي تابَ مِنْهُ.
पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया:
अल्लाह, तआला एक अनैतिक व्यक्ति की तौबा स्वीकार नहीं करता। पूछा गया, ऐसा क्यों है? कहा: क्योंकि जब वह किसी पाप से तौबा करता है, तो उससे भी बड़ा पाप करता है।
बिहार उल अनवार, भाग 73, पेज 299
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