हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस रिवायत को "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول اللہ صلی الله علیه وآله:
مَنْ سَعی فی حاجَۀ أَخیهِ المؤمنِ فکأنَّما عَبَدَ اللهَ تِسْعَهَ آلافِ سنَه، صائماً نهارُهُ قائماً لَیلَهُ.
पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया:
जो कोई अपने मोमिन भाई की ज़रूरत को पूरा करने का प्रयास करता है, वह ऐसा है जैसे उसने नौ हज़ार साल तक दिन में रोज़ा रखकर और रात में भोर तक खड़ा रहकर अल्लाह की इबादत की है।
बिहार उल अनवार, भाग 74, पेज 316
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