मंगलवार 28 अक्तूबर 2025 - 16:41
वह चार महान विशेषताएँ जिन्होने ज़ैनब कुबरा (स) को मुस्लिम महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनाया

हौज़ा / हज़रत ज़ैनब कुबरा (स) ने अपनी ख़ालिस इबादत, इफ़्फ़त, इल्म और बे-नज़ीर शुजाअत के ज़रिए एक मोमिना औरत की मुकम्मल और दरख़्शां तस्वीर पेश की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हज़रत ज़ैनब कुबरा (स) ने अपनी ख़ालिस इबादत, इफ़्फ़त, इल्म और बे-मिसाल शुजाअत के ज़रिए एक मोमिना ख़ातून की मुकम्मल और रौशन तस्वीर पेश की।

रसूल-ए-ख़ुदा (स) ने आपका नाम खुद इख़्तियार फ़रमाया, और कुछ रिवायतों के मुताबिक यह नाम ख़ुदा-ए-मुतआल के हुक्म से जिब्रईल-ए-अमीन अ.स. के ज़रिए नबी अक़्रम स.अ. तक पहुँचाया गया।
इस नाम का मतलब है: “बाप की ज़ीनत।”

यह वही बाअज़मत ख़ातून हैं जो जवानी के दिनों में कूफ़ा की औरतों को क़ुरआन-ए-करीम की तफ़्सीर सिखाया करती थीं। आप अमीर-उल-मोमिनीन अली (अ) और हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की बेटी हैं, और इतने बुलंद दर्जे-ए-इल्म पर फ़ाइज़ थीं कि इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: “आप वो आलिमा हैं जिन्हें किसी ने तालीम नहीं दी, और वो फ़हीमा हैं जिन्हें किसी ने तफ़्हीम नहीं किया।”

शिया-सुन्नी, मशरिक़ी-मग़रिबी, हर तबके के अहले-क़लम ने हज़रत ज़ैनब अ.स. की शख़्सियत पर इज़हार-ए-अक़ीदत किया है। अरब अदीबों ने आपकी फसाहत व बलाग़त को सराहा, जबकि मग़रिबी मुसन्निफ़ीन ने इस बात पर हैरत ज़ाहिर की कि शदीद तरीन मुसाइब के बावजूद आपकी रूहानी इस्तेक़ामत में ज़र्रा बराबर भी कमी नहीं आई।

यह अज़ीम ख़ातून इस्लाम की कई नमाया सिफ़ात की हामिल थीं, जिनमें से चार बुनियादी ख़ुसूसियात ने आपको तमाम मुस्लिम ख़वातीन के लिए नमूना-ए-अमल बना दिया:

  1. ख़ालिस इबादत
    हज़रत ज़ैनब अ.स. की ज़िन्दगी इबादत-ए-इलाही से सरशार थी। आज की दुनिया में जहाँ इंसान मशरिक़ व मग़रिब में रूहानी ख़ला का शिकार है और काज़िब इरफ़ान के पीछे भागता है, वहाँ हज़रत ज़ैनब अ.स. की सीरत एक हक़ीक़ी इलाही रास्ता दिखाती है — वह इबादत जो तस्लीम, सब्र और यक़ीन से भरपूर हो।

  2. पाकदामनी और इफ़्फ़त
    आपकी इफ़्फ़त मिसाली थी। अगरचे यह सिफ़त मज़हबी तबक़ों के लिए बदिही लगती है, मगर यही बदिही हक़ीक़त जब भुला दी जाती है, तो मआशरे में अख़लाक़ी इनहितात पैदा होता है। हज़रत ज़ैनब अ.स. की पाकदामनी का मुताला, आज के समाज की रूहानी बीमारियों के इलाज का रास्ता बताती है।

  3. इल्म और दानिश
    हज़रत ज़ैनब अ.स. का इल्म मक़तब-ए-अली अ.स. और इस्लाम-ए-मुहम्मदी स.अ. की रौशनी में परवरिश पाया। आप न सिर्फ़ आबिदा और पारसा थीं बल्कि बुलंद दर्जे की आलिमा भी थीं, जिनकी फ़हम व बस़ीरत ने इस्लामी तारीख़ में इल्म व मा’रिफ़त की नई राहें खोलीं।

  4. शुजाअत और शहामत
    हज़रत ज़ैनब अ.स. की शुजाअत कर्बला के मैदान से लेकर दरबार-ए-यज़ीद तक तारीख़ के सफ़्हों पर दर्ज है। इस्लाम के मक़तबी तसव्वुर में औरत न तो घर के कोने में रहने वाली है, न तिजारत की शै; बल्कि वह ज़िम्मेदारी और इज़्ज़त के साथ समाज की राहनुमा बन सकती है। हज़रत ज़ैनब अ.स. और उनकी वालिदा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा अ.स. इस इज़्ज़त व वक़ार की बुलंद मिसाल हैं।

हज़रत ज़ैनब कुबरा (स) की ये चार ख़ासियतें — इबादत, इफ़्फ़त, इल्म और शुजाअत — हर दौर की ख़वातीन के लिए ईमान, वक़ार और बस़ीरत की ज़मीन तैयार करती हैं।

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