۱۸ آبان ۱۴۰۳ |۶ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 8, 2024
حضرت معصومه سلام الله علیها

हौज़ा / इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) और उनके भाई इमाम अली रज़ा (अ.स.) ने उन्हें इस्लामी तालीमात और इल्म की ऊँचाइयों से सरफ़राज़ किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!

लेखक :सैयद साजिद हुसैन रज़वी मोहम्मद

बीबी मासूमा (स.अ) की ज़िन्दगी ईमान, तक़वा और इल्म का बेहतरीन नमूना थी। वह एक ऐसी आला दर्जे की ख़ातून थीं जिनकी मिसाल देना मुश्किल है। उनका असली नाम फ़ातिमा था, लेकिन अपनी पवित्रता और बेहतरीन किरदार की वजह से उन्हें "मासूमा" का लक़ब मिला। उनके वालिद इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) और उनके भाई इमाम अली रज़ा (अ.स.) ने उन्हें इस्लामी तालीमात और इल्म की ऊँचाइयों से सरफ़राज़ किया।

बीबी मासूमा (स.अ) का शुमार उन खास ख़वातीन में होता है, जिन्होंने इस्लामी समाज को अपने इल्म और तालीम से रौशन किया। उन्होंने अपने घराने से हासिल की गई रूहानी तालीम से इस्लाम की तालीमात को आम किया। उनके पास इल्म और हिकमत का समंदर था, और उन्होंने कई लोगों की इल्मी तिश्नगी को अपने इल्म के समंदर से सैराब किया। वह सिर्फ़ एक बहन या बेटी नहीं थीं, बल्कि वह एक रूहानी और दीनी रहनुमा थीं जिनके किरदार और इल्म से लाखों लोगों ने फ़ायदा उठाया।

उनकी ज़िन्दगी का हर लम्हा इस बात की दलील है कि एक औरत किस तरह से अपने दीन और इल्म के ज़रिये समाज की रहनुमाई कर सकती है। उन्होंने अपने भाई इमाम अली रज़ा (अ.स.) की गैर मौजूदगी में भी दीन और इस्लाम के अहकामात को आम किया और लोगों के दिलों में एहसास और मोहब्बत का चिराग़ रौशन किया।

जब वह अपने भाई से मिलने के लिए ईरान की तरफ़ सफ़र कर रही थीं, रास्ते में बीमार हो गईं और क़ुम में आकर उनका इंतक़ाल हुआ। क़ुम की सरज़मीन को बीबी मासूमा (स.अ) के मुक़द्दस रौज़े से वह मुक़ाम हासिल हुआ जो आज भी अकीदतमंदों के लिए रोशनी का मरकज़ है। उनका रौज़ा आज भी लाखों लोगों के दिलों की क़ुर्बत और दुआओं का मरकज़ बना हुआ है।

क़ुम के हरम में जब तुल्लाब (स्टूडेंट्स) या अन्य अकीदतमंद अपनी माँ की याद में तड़पते हैं, तो बीबी मासूमा (स.अ) के दर पर आकर उनके दिलों को सुकून मिलता है, मानो उन्हें अपनी माँ की ममता का एहसास हो रहा हो। बीबी ने हमें यह सिखाया कि इल्म, तक़वा और सच्चाई की रहनुमाई में ज़िन्दगी बसर की जाए और समाज में अच्छाई और दीन को फैलाया जाए।

मेरी अपनी ज़िन्दगी में, जब मेरी वालिदा का इंतकाल हुआ, तो मेरे दिल की तिश्नगी भी बीबी मासूमा (स.अ) के हरम की क़ुर्बत में सैराब हुई। बीबी का दर उन लोगों के लिए हमेशा से पनाहगाह रहा है, जो दिल से अपनी माँ की ममता और प्यार की तलाश करते हैं।

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टिप्पणियाँ

  • Razavi DE 00:11 - 2024/10/15
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