हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الھادی علیه السلام:
أَلشّاکِرُ أسعَدُ بِالشُّکرِ مِنهُ بِالنِّعمَةِ الَّتی أوجَبَتِ الشُکرَ، لَأَنَّ النِّعَمَ مَتاعٌ و الشُکرُ نِعَمٌ وَ عُقبی.
इमाम नक़ी (अ) ने फ़रमाया:
नेमत पर शुक्र व्यक्त करना, शुक्र करने वाला व्यक्ति स्वयं नेमत से अधिक प्रसन्न होता है, क्योंकि नेमत अस्थायी होती हैं, जबकि शुक्र करना एक स्थायी नेमत है।
बिहार अल-अनवार, भाग 71, पेज 417
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