हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा ए इल्मिया तेहरान की उच्च परिषद के प्रमुख और प्रसिद्ध फक़ीह उस्ताद रेशाद ने मदरसा-ए-इल्मिया इमाम रज़ा अ.स.में दर्स-ए-ख़ारिज उसूल-ए-फ़िक़्ह के दौरान कहा कि ईरान और अमेरिका के बीच का मतभेद केवल राजनीतिक नहीं है बल्कि यह सत्य और असत्य, प्रकाश और अंधकार के बीच का टकराव है।
उन्होंने कहा कि 13 आ़बान ईरान के इतिहास में अहंकार और साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष की एक प्रतीक तिथि है। इस अवसर पर उन्होंने उलेमा, तलबा और नौजवानों से अपील की कि वे इस दिन की रैलियों और कार्यक्रमों में पूरी सक्रियता से भाग लेकर इस्लामी क्रांति के मूल सिद्धांतों के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन करें।
उस्ताद रेशाद ने कहा कि अमेरिका ने बार बार ईरान के प्रति शत्रुता दिखाई है, जिनमें 28 मर्दाद 1332 हिजरी शम्सी (1953) की खूनी घटना एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ अमेरिकी साजिशों का असली उद्देश्य देश की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को रोकना है, क्योंकि केवल उन्नत राष्ट्र ही विश्व स्तर पर प्रभाव डाल सकते हैं।
उनके अनुसार, ईरान और अमेरिका के संबंध हक़ और बातिल के संघर्ष जैसे हैं, और कोई भी समझौता इस्लामी क्रांति की मूल पहचान से पीछे हटने के समान होगा। जब तक दोनों पक्ष अपने वैचारिक रुख पर कायम हैं, सुलह संभव नहीं है।
अंत में उस्ताद रेशाद ने कहा कि आज प्रतिरोध का मोर्चा विश्व स्तर पर फैल चुका है, और इस्लामी गणराज्य ईरान इस वैश्विक जागरूकता और न्याय आधारित प्रतिरोध आंदोलन का ध्वजवाहक बन चुका है।
आपकी टिप्पणी