मंगलवार 11 फ़रवरी 2025 - 23:29
इस्लामी गणराज्य ईरान की पाबंदियों के बावजूद, तरक्की अपरिहार्य है

हौज़ा / आयतुल्लाह हुसैनी ने इस्लामी क्रांति की सफलताओं को क्षेत्र में प्रतिरोधी आंदोलनों के गठन और जागरूकता का महत्वपूर्ण करार देते हुए इस्लामी गणराज्य की इन आंदोलनों को मज़बूत करने में अहम भूमिका पर ज़ोर दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,इराक में रहबर-ए-इंक़लाब-ए-इस्लामी के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सैयद मुजतबा हुसैनी ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि इस्लामी क्रांति की उपलब्धियां बहुत व्यापक हैं इनमें से एक प्रमुख उपलब्धि मुस्लिम समाज में प्रतिरोध और जागरूकता की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

उन्होंने इस्लामी क्रांति के जन आंदोलनों के गठन पर इसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि क्रांति से पहले दुनिया के किसी भी कोने में कोई शक्तिशाली जन आंदोलन नहीं था। इस्लामी क्रांति ने इतनी शक्ति प्राप्त की कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन के बावजूद, शाह को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया यह घटना इस्लामी समाज के लिए एक नया उदाहरण बन गई।

इराक में रहबर-ए-इंक़लाब के प्रतिनिधि ने क्षेत्र में प्रतिरोध के संदर्भ में इस्लामी क्रांति की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि लेबनान में इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने सीधे तौर पर ईरान से प्रेरणा ली और फिलिस्तीनी आंदोलनों ने भी इस्लामी क्रांति से प्रभावित होकर अपने संघर्ष के रास्तों में बदलाव किया।

उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति से पहले फिलिस्तीनी संघर्ष सीमित और आंतरिक गतिविधियों तक केंद्रित था और संपूर्ण स्वतंत्रता का विचार कमजोर था लेकिन इस्लामी क्रांति ने इस प्रवृत्ति को बदल दिया और फिलिस्तीन की संपूर्ण स्वतंत्रता का आंदोलन शुरू हुआ।

उन्होंने इस्लामी गणराज्य द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान के प्रतिरोधी आंदोलनों के समर्थन के जारी रहने पर जोर देते हुए कहा कि ईरान हमेशा मजलूमों और प्रतिरोध करने वालों का समर्थक रहा है, और यह समर्थन कब्ज़े के खिलाफ प्रतिरोध के मिशन को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

आयतुल्लाह सैयद मुजतबा हुसैनी ने इस्लामी क्रांति को मिली चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि क्रांति की शुरुआत से ही ईरान को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।

हालांकि प्रारंभ में ये प्रतिबंध आधिकारिक रूप से लागू नहीं हुए थे लेकिन साम्राज्यवादी देशों ने ईरान के साथ अनुचित व्यवहार किया और आर्थिक मामलों में कोई सहयोग नहीं किया बल्कि हस्तक्षेप किया।

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने क्रांति के शुरुआती दौर में ही ईरान की आय को रोक दिया जिसकी कीमत बहुत अधिक थी। लेकिन इस्लामी क्रांति ने इन सभी बाधाओं के बावजूद, जनता के समर्थन और आंतरिक क्षमताओं पर भरोसा करते हुए इनका सामना किया और अपने मिशन को जारी रखा।

उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान की विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से इनकार नहीं किया जा सकता आज ईरान ने कई क्षेत्रों, विशेष रूप से सैन्य और चिकित्सा में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

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