रविवार 9 नवंबर 2025 - 13:45
हज़रत फ़ातिमा सला मुल्लाह अलैहा का विलायत का बचाव वास्तव में दीन की मूल बातों का बचाव था

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अबतही ने कहा,पैगंबर ए इस्लाम स.अ.व. की रिहलत के बाद का छोटा सा दौर इस्लामी इतिहास के सबसे निर्णायक दौर में से एक है। हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ.ने तहरीफ और इनहिराफ का सामना अकेले करते हुए अमीरुल मोमिनीन अ.स.और राहे पैगंबर स.अ. का बचाव किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अबतही ने कहा,पैगंबर ए इस्लाम स.अ.व. की रिहलत के बाद का छोटा सा दौर इस्लामी इतिहास के सबसे निर्णायक दौर में से एक है। हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ.ने तहरीफ और इनहिराफ का सामना अकेले करते हुए अमीरुल मोमिनीन अ.स.और राहे पैगंबर स.अ. का बचाव किया।

ईरान के शहर इस्फ़हान के गुलिस्तान ए शुहदा में फातिमिया (स.अ.) के मौके पर हयाते रज़मंदगाने इस्लाम महबाने यूसुफे ज़हरा (स.अ.) की तरफ से आयोजित मजलिसे अज़ा को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद मोहम्मद सादेक़ अबतही ने कहा,पैगंबर ए ख़ुदा (स.अ.व.) की रिहलत से लेकर हज़रत ज़हरा (स.अ.) की शहादत तक के 75 या 95 दिन, इस्लाम के इतिहास के बेहद संवेदनशील और प्रभावशाली पल हैं। इस दौरान इस्लाम के दुश्मनों ने उम्मत को बहकाने और अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) के मकाम को कमज़ोर करने की भरपूर कोशिश की।

उन्होंने कहा,हज़रत ज़हरा (स.अ.) का बचाव सिर्फ शख्स ए अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) का बचाव नहीं था, बल्कि यह क़ुरान, नबूवत और असले दीन की हिफाज़त थी। अगर उस वक्त हज़रत ज़हरा (स.अ.) क़याम न करतीं तो रसूल ए अकरम (स.अ.व.आ.) की सारी मेहनत तहरीफ का शिकार हो जाती।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अबतही ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ.के ऐतिहासिक खुतबों की तरफ इशारा करते हुए कहा, यह खुतबे सिर्फ फ़दक के बचाव तक माहदूद नहीं हैं, बल्कि हक़ीक़ते इमामत की वज़ाहत और विलायत से इनहिराफ के खतरे से आगाह करना है।

अइम्मा ए अहले बैत स.ल.यह खुतबे अपनी नस्लों को सिखाते रहे ताकि पैगाम ए फ़ातिमी (स.अ.) इतिहास के हर दौर में ज़िंदा और रहनुमा रहे।

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