हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के मशहूर खतीब, कुरआन के शिक्षक और हौज़ा ए इल्मिया के उस्ताद हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैन अंसारियान ने कहा कि जो व्यक्ति अपने जीवन को कुरआन, पैगंबर मुहम्मद स.अ.व.व. और अहले बैत (अ.स.) की विलायत के अनुसार नहीं बिताता, वह दुनिया में भी बेकदर रहता है और क़यामत में भी उसकी कोई हैसियत नहीं रहेगी।
हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) की शहादत के दिनों के अवसर पर तेहरान के हुसैनिया हमदानिय्यह की महफिल में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अल्लाह ने हर मख्लूक को एक मकसद के साथ पैदा किया है, लेकिन इंसान वह एकमात्र मखलूक है जिसे अपनी कदर व कीमत खुद पहचाननी होती है। अगर वह अल्लाह की हिदायत और पैगंबर इस्लाम स.अ.व.व. के रास्ते को इख्तियार न करे, तो उसकी ज़िंदगी ला हासिल बन जाती है।
उन्होंने कुरआन की आयत
فَلَا نُقِیمُ لَهُمْ یَوْمَ الْقِیَامَةِ وَزْنًا
(सूराह कहफ, 105) पढ़ते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे होंगे जिनके अमल तोलने के लिए कोई तराजू ही नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि उनके वजूद में कोई क़दर, कोई सच्चाई और कोई भलाई मौजूद नहीं होगी। क़यामत के दिन असली मापदंड कुरआन, रसूल अकरम (स.अ.व.व.) और हज़रत अली (अ.स.) से मोहब्बत होगी।
उस्ताद अंसारियान ने कहा कि ज्ञान वाले इंसान का दिल ईमान, यक़ीन, बेहतर अख़लाक और नेक अमल से रोशन होता है, जबकि बिना ज्ञान वाले लोग खोखले और बेबुनियाद होते हैं। उन्होंने उवैस क़रनी, मालिक अश्तर और कुमैल जैसे लोगों की मिसाल देते हुए कहा कि हक़ीकत को समझने के लिए हमेशा देखना ज़रूरी नहीं, कभी एक सच्चा कलमा ही इंसान को मंज़िल तक पहुंचा देता है।
उन्होंने अफसोस ज़ाहिर किया कि दुनिया की बड़ी तादाद कुरआन की अज़ीम नेमत से फायदा नहीं उठाती, हालांकि अल्लाह ने इसे इंसानों की रहनुमाई के लिए उतारा है। कुरआन साफ लफ्ज़ों में फर्क बताता है कि नेक और बद बराबर नहीं हो सकते।
आखिर में उन्होंने कहा कि मोमिन कब्र और क़यामत में भी अकेला नहीं होता, क्योंकि अल्लाह के साथ होता है। इंसान चाहे तो खुद को नेकी और रोशनी की राह पर डाल सकता है, और चाहे तो अपनी ज़िंदगी बेमकसद और बेवज़न बना सकता है।
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