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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के कलाम में नमाज को हल्का मानने का परिणाम
हौज़ा / दानिशगाह उलूम इस्लामी रजवी के संकाय सदस्य ने हज़रत फातिमा ज़हरा के कलाम मे नमाज को हल्का मानने के परिणामों, विपत्तियों पर प्रकाश डाला।
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जुमा की नमाज़ का महत्व और इस इबादत का हुस्न
हौज़ा /जुमा की नमाज़ न केवल मुसलमानों के लिए सामूहिक इबादत का दिन है, बल्कि यह दिन मअनवयत और बरकतो से भरा है। सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह अली खामेनेई ने एक भाषण के दौरान जुमा की नमाज़ के महत्व का वर्णन किया है।
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ख़ुत्बे क़ुरान की व्याख्या और तफ़सीर के समान हैं जो इल्म…
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने कहा,वह लोग जो केवल खुद को प्रमुख बनाने या खबरों में बने रहने की इच्छा रखते हैं, न तो दूसरों की समस्याएं हल कर सकते हैं और न अपनी।
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आयतुल्लाहिल उज़मा गुलपाएगानी पर हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की खास इनायत
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद मोहम्मद रज़ा गुलपायगानी र.ह. उस दौर में जब किराए के मकान में जिंदगी गुज़ार रहे थे उस दौरान पेश आए एक वाकये ने हज़रत ज़हरा स.ल. की उन पर खास इनायत को ज़ाहिर किया।
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ज़मीन पर होने वाला पहला गुनाह हसद था: आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी ने अपने दरस ए अख़्लाक़ के दरस में हसद के घातक प्रभावों पर रौशनी डालते हुए कहा कि हसद केवल एक नैतिक बीमारी नहीं है बल्कि यह इंसान के ईमान को खा जाने वाला गुनाह है।
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ईरान की इल्मी तरक्की,युवाओं पर विश्वास से डिजिटल सफलताएं हासिल करें
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने कहा, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि देश में डिजिटल अवसंरचना को मजबूत किया जाए और समाज, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को वैचारिक आक्रमणों से सुरक्षित रखा जाए।
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दीन,हुक्मरानी की तमाम पद्धतियों और नए विचारों के बारे में सोच, मार्गदर्शन, और आदर्श…
हौज़ा / सुप्रीम लीडर ने बुधवार 20 नवम्बर 2024 को लड़कियों के मदरसे जामेअतुज़्ज़हरा की प्रिंसपल, शिक्षकाओं और स्टूडेंट्स से तेहरान में मुलाक़ात में इस प्रभावी संस्था को इस्लामी इंक़ेलाब की बरकत से वजूद में आने वाली बेमिसाल संस्थाओं में और धार्मिक शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और महिलाओं पर प्रभाव डालने वाली बताया उन्होंने समाज की ज़रूरत के साथ मदरसों में बदलाव और अपटूडेट होने की ज़रूरत की ओर इशारा करते हुए कहा कि मदरसों की आर्थिक, प्रशासनिक और पारिवारिक मामलों सहित समाज के अहम मसलों में राय होनी चाहिए।
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नमाज को महत्व न देने से जीवन और जीविका की नेमत गायब हो जाती है: हुज्जतुल इस्लाम मोमिनी
हौज़ा / हरम मुतहर हज़रत मासूमा क़ुम के खतीब हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद हुसैन मोमिनी ने कहा: नमाज़ पढ़ना, कुरान पढ़ना, अल्लाह के रास्ते में खर्च करना और माता-पिता का सम्मान करना हज़रत फ़ातिमा (स) के पसंदीदा कार्यों में से हैं जो लोग नमाज को हलका समझते हैं, वे जीवन और जीविका की नेमतों की कमी के शिकार हो जाते हैं।
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इंक़ेलाब और इस्लामी निज़ाम की स्थिरता और बाक़ायदगी का असली सरमाया शहीदों का ख़ून है।
हौज़ा / खुरासान रिज़वी में नुमाइंदे वली ए फ़क़ीह ने कहा: इस्लामी इंक़लाब आइम्मा ए अतहार अ.स.के इंक़ेलाब का सिलसिला है शहीदों के परिवार इस निज़ाम और इस्लामी इंक़लाब की नेमतों का सबब हैं और हक़ीक़त में वही इस इंक़लाब के असली मालिक हैं।
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दुनिया में शुद्ध इस्लाम और इस्लामी क्रांति के विकास का क्षेत्र असीमित है
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक ने कहा दुनिया में इस्लामी क्रांति की अभिव्यक्ति प्रतिरोध से कहीं अधिक है, और हम दुनिया में जहां भी जाते हैं, वहां क्रांति की किरणें होती हैं।
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हज़रत सुलेमान स्वर्ग में प्रवेश करने वाले अंतिम पैगम्बर क्यों होंगे?
हौज़ा / हौज़ा इलमिया के नैतिकता के प्रसिद्ध शिक्षक, दिवंगत अयातुल्ला मुहम्मद अली नासरी ने अपने एक पाठ में कहा था कि हज़रत सुलेमान (अ) आखिरी पैगंबर होंगे जो स्वर्ग में प्रवेश करेंगे, क्योंकि उनका विस्तार से हिसाब किताब करने में समय लगेगा।
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भारतीय धार्मिक विद्वानों का परिचय | मौलाना मुहम्मद हुसैन रिज़वी लखनवी
हौज़ा / पेशकश: दानिशनामा इस्लाम, इंटरनेशनल नूरमाइक्रो फिल्म सेंटर दिल्ली काविश: मौलाना सैयद गाफ़िर रिज़वी छोलसी और मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फ़ंदेड़वी
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जिस चीज़ से अक्ल मना करती है, दीन भी उससे मना करता है।
हौज़ा / मजलिस ए ख़ुबरेगान रहबरी के सदस्य ने कहा,यह संभव नहीं है कि दीन कभी अक्ल के खिलाफ किसी चीज़ पर ज़ोर दे क्योंकि अक्ल और दीन का ख़ालिक एक ही है सभी अंबिया किराम ने अक्ल के मुताबिक़ बातें की हैं, इसलिए वही अक्ल जो कहती है कि किसी बड़े नुकसान के करीब न जाना वही इस बात पर भी ज़ोर देती है कि फहश और गुनाह के करीब भी न जाएं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली: हिजाब सामाजिक शुद्धता की गारंटी है
हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज्मा जवादी आमोली ने कहा है कि शुद्धता और हिजाब के माध्यम से सामाजिक शुद्धता और पवित्रता संभव है और इन सिद्धांतों का उल्लंघन समाज को भ्रष्टाचार की गहराई में डुबो देता है।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा शाहरुदी का अनोखा फ़तवा: आयतुल्लाह क़ाज़ी की कक्षा में न जाएँ!
हौज़ा / आयतुल्लाह शब ज़िंदादार ने अपने एक व्याख्यान में आयतुल्लाह क़ाज़ी की नैतिकता से संबंधित एक दिलचस्प घटना सुनाई। यह घटना दिवंगत आयतुल्लाहिल उज़्मा शाहरूदी और उनके भाई से संबंधित है, जिन्होंने आयतुल्लाह काजी की शिक्षाओं से प्रेरित होकर एक असामान्य निर्णय लेने का फैसला किया।