महदवीयत का अक़ीदा
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दिन की हदीस:
हज़रत इमाम जवाद अ.स. की दो अहम नसीहत
हौज़ा / हज़रत इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में दो अहम नसीहत बयान फरमाई हैं।
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लखनऊ में नूर असर क्रैश कोर्स मे असाधारण उपस्थिति;
महदवीयत का विषय सहाए सित्ता मे भी मौजूद है: मौलाना सय्यद इस्तिफ़ा रज़ा
हौज़ा / यदि कोई महदीवाद का झूठा दावा करता है, तो उससे पूछा जाना चाहिए कि इमाम महदी इन निशानीयो के बिना कैसे आ सकते है।
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महदवीयत कन्वेंशन के लिए आयतुल्लाह सुबहानी का संदेश:
मुंजी ए आलम ए बशारीयत का ज़हूर सभी धर्मों की एक आम समस्या है
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सुबहानी ने कहा कि दुनिया के सभी धर्मों के अनुसार, एक उद्धारकर्ता की उपस्थिति एक निर्विवाद तथ्य है जिसका भविष्य को सामना करना पड़ेगा, लेकिन यह उन सभी नेक लोगों की स्वाभाविक इच्छा है जो इसमें रह रहे हैं। दुनिया सदियों से इस तारणहार के पृथ्वी पर प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रही है।
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अमन और सलामती की फ़िज़ा
हौज़ा/हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर के ज़माने के लिए रास्ता समतल करने की कोशिश कीजिए, वह ज़माना जिसमें किसी भी शक्ल में ज़ुल्म व सितम नहीं है वह ज़माना जिसमें इंसान की सोच और उसकी अक़्ल किसी भी ज़माने की तुलना में ज़्यादा ऐक्टिव और रचनात्मक होगी
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:महदवीयत
दुनिया में इंसाफ और न्याय का कायम करना
हौज़ा/महदवीयत का सबसे अलग नारा इंसाफ और न्याय का कायम करना,और जब हम दुआए नुदबा पढते हैं,कहाँ है वह जिससे ज़ुल्म व सितम को मिटाने की उम्मीदें जुड़ी हैं?
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:महदवीयत
इमाम ज़माना हमारी इल्तेजा को सुनते भी हैं और क़ुबूल भी करते हैं
हौज़ा/मुख़तलिफ़ ज़ियारतों में हम जो इल्तेजा का अंदाज़ देखते हैं जिनमें कुछ की सनद भी बहुत मोतबर है, उनकी बहुत अहमियत है,इमाम अलैहिस्सलाम हर आवाज़ को सुनते हैं और इल्तेजा को क़ुबूल करते हैं।
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एक मतलूबा इंसानी ज़िंदगी की शुरुआत
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,ऐसा नहीं है कि जब हम वहाँ इमामे ज़माना अ.स. के ज़माने में पहुँचेंगे तो अचानक एक तेज़ हरकत होगी और फिर वो रुक जाएगी, अस्ल में यह कहा जाना चाहिए कि इंसान की अस्ली ज़िंदगी और उसका वांछित जीवन वहीं से शुरू होगा
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इमाम ए ज़माना अ.स. की मिसाल एक तरह से हज़रत यूसुफ़ जैसी
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,हज़रत ईमाम ज़माना अ.स. कि मिसाल हज़रत यूसुफ़ जैसा बताया गया है कि हज़रत यूसुफ़ के भाई उन्हें देख रहे थे, हज़रत यूसुफ़ उनके सामने थे उनके क़रीब जाते थे लेकिन वो उन्हें पहचान नहीं पाते थे। इमामे ज़माना का वुजूद इस तरह की खुली, स्पष्ट और प्रोत्साहित करने वाली हक़ीक़त हैं।
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:महदवीयत
महदवीयत का अक़ीदा, सभी इस्लामी मसलकों में मौजूद हैं
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,इस्लाम में इमामे ज़माना अ.स. के बारे में अक़ीदा, बुनियादी अक़ीदों में हैं यह सिर्फ़ शियों से विशेष नहीं है सभी इस्लामी मसलक के अक़ीदा रखते हैं कि आख़िरकार दुनिया में हज़रत मेंहदी अ.स. के हाथों न्याय का राज होगा
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: महदवीयत
अगर महदवीयत का अक़ीदा न होता तो पैग़म्बरों की कुर्बानियाँ बेकार हो जातीं
हौज़ा/महदवीयत का अक़ीदा एक बुनियादी मामला है। अल्लाह की सबसे बुनियादी तालीमात का हिस्सा है। यही वजह है कि सभी इब्राहीमी धर्मों में, जहां तक हमें सूचना है, बुनियादी दर्जा रखने वाले इस अक़ीदे का वुजूद है और वही हक़ीक़त में महदवीयत का अक़ीदा हैं।