हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शम्सी कैलेंडर के नए साल के आरंभ के उपलक्ष्य में अपने संदेश मेंकहा की वर्ष 1399 हिजरी शम्सी (21 मार्च 2020 से 20 मार्च 2021 तक) को कोरोना वायरस की महामारी और अमरीका के कड़े दबाव, दोनों के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की क्षमताओं के उजागर होने का साल क़रार दिया। उन्होंने कहा कि आज ख़ुद दुश्मन खुल कर यह बात मान रहे हैं कि अधिकतम दबाव की नीति विफल हो गई है।
उन्होंने अपने संदेश में कहा:सन 1399 (हिजरी शम्सी) विभिन्न और कुछ ऐसी घटनाओं के साथ अपने अंत को पहुंचा है जो बेजोड़ हैं। इन्हीं घटनाओं में से एक, जो वास्तव में हमारे राष्ट्र के लिए बिल्कुल नई है, कोरोना की महामारी है, जिसने पूरे राष्ट्र की ज़िंदगी को प्रभावित किया है। लोगों का काम-काज, पढ़ाई का माहौल, धार्मिक समारोहों, यात्राओं, स्पोर्ट्स और देश के अनेक अन्य मामलों को प्रभावित किया और देश में रोज़गार को बड़ा नुक़सान पहुंचाया। लेकिन सबसे ज़्यादा तकलीफ़ वाली बात हमारे हज़ारो नागरिकों की मौत है जिसने दसियों हज़ार परिवारों को दुखी और शोक कर दिया। मैं उन सभी घरवालों से संवेदना प्रकट करता हूं और उनके दु:ख में सहभागी हूं। ईश्वर उन्हें धैर्य व प्रतिफल प्रदान करे और मरने वालों को क्षमा प्रदान करे, और उनकी मगफिरत करें!
उन्होंने कहा:हमारे दुश्मन, जिनमें सबसे आगे अमरीका है, अपने अधिकतम दबाव से हमारे राष्ट्र को झुका देना चाहेता था। आज वे ख़ुद और उनके यूरोपीय दोस्त कहते हैं कि अधिकतम दबाव विफल हो गया। हम तो जानते ही थे कि विफल होगा और हम दुश्मन को पराजित करने का संकल्प भी रखते थे। हम जानते थे कि ईरानी राष्ट्र, प्रतिरोध करेगा लेकिन आज वे ख़ुद भी मान रहे हैं कि यह अधिकतम दबाव नाकाम हो गया।
अंत में उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि पेश की और कहां आशा है कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की आत्मा और हमारे महान शहीदों की आत्माएं हमसे राज़ी होंगी और यह साल ईरानी राष्ट्र के लिए शुभ होगा और इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम ईरानी राष्ट्र, अधिकारियों और जनता के लिए दुआ करेंगे, यह राष्ट्र उनकी कृपा का पात्र बनेगा और जिस तरह अतीत में इस राष्ट्र पर उनकी कृपा दृष्टि रही है, उसी तरह भविष्य में भी रहेगी।
वस्सलामो अलैकुल व रहमतुल्लाहे व बरकातोहू