हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मौलाना सैय्यद मंजर अब्बास ने कहां,अल्लाह की रहमत होती है तभी दिल को सुकून मिलता है, दिल के सुकून का ताल्लुक क्योंकि नेकी और नेक अमल से है, इसी लिए ज़रूरी है कि आदमी नेकी के रास्ते पर चले, रोज़ा बुराइयों पर लगाम लगाता है और सीधी राह चलाता है मंजिल पर पहुंचना तब आसान हो जाता है जब राह सीधी हो।
मज़हबे इस्लाम में रोज़ा रहमत और राहत का रहबर है, रहमत से मुराद अल्लाह की मेहरबानी से है और राहत का मतलब दिल के सुकून से हैं।
रमज़ान और रोज़े के बारे में बताते हुए मौलाना सैय्यद मंजर अब्बास ने कहा: की मगफिरत का मामला है अल्लाह का, यानी रोज़ा रखकर जब कोई शख्स अपने गुस्से लालच जबान जेहान और नफ्स पर काबू रखता है तो वह सीधी राह पर ही चलता है, जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है रोजा भूख प्यास पर तो कंट्रोल हैं ही, घमंड फरेब,फसाद, बेईमानी बदतमीज़ी पर भी रोक लगाता है वैसे तो रोज़ा है ही सब्र और हिम्मत हौसले का पयाम लेकिन रोज़ा सीधी राह का भी है एहतिमाम। नेक नियत से रखा गया रोज़ा नूर का निशान है अच्छे और सच्चे मुसलमान की पहचान है।