۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
मजलिस

हौज़ा/मौलाना सैय्यद फैज़ अब्बास मशहदी ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि मृत्यु के बाद वाले जीवन के बारे में सबको सोचना चाहिए क्योंकि असली जीवन वह है जो मृत्यु के बाद मिलने वाला है और हमेशा संतोष के साथ अल्लाह तआला की इबादत में रहना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ/ ज़रगाम रिज़वी के पिता मरहूम सैय्यद वजीह हैदर इब्ने सैय्यद अली अकबर मरहूम के बीसवें की मजलिस गोलागंज स्थित मस्जिद हैदर मिर्ज़ा में आयोजित की गई जिसको मौलाना सैय्यद फ़ैज़ अब्बास मशहदी ने कहा कि मृत्यु के बाद वाले जीवन के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि असली जीवन वह है जो मृत्यु के बाद मिलने वाला है और हमेशा संतोष के साथ अल्लाह की इबादत में रहना चाहिए।


मौलाना सैय्यद फ़ैज़ अब्बास मशहदी ने कहा कि अल्लाह की रहमत का तकाज़ा यह है कि उसने जन्नत में 8 दरवाज़े बनाए और जहन्नम में सिर्फ 7 दरवाज़े बनाए यह उसके अर्हमुर्राहेमीन होने की दलील है और अब्द व माबूद के बीच अहले बैत ही एकमात्र रास्ता और ज़रियाँ हैं इसलिए अहले बैत अ०स० की सीरत पर हमेशा अमल करते रहें।


मौलाना सय्यद फैज़ अब्बास मशहदी ने कहा कि हमें ज़ियारते जामिया में भी यही बताया जाता है कि जब हम उस पर सलवात पढ़ते हैं तो उसकी संरक्षकता की छाया हमारे सिर पर पड़ती है और उसके 4 प्रभाव प्रकट होते हैं: खुलकत पाक, नफ्स ताहिर, तज़किए नफ्स और गुनाहों का कफ्फारा बनता है अब हमे यह देखना चाहिए कि क्या उनकी संरक्षकता का प्रभाव हमें आहत कर रहा है या नहीं, हम पवित्र बने हैं या नहीं।

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