۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
जियारते कब्र

हौज़ा / हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में मरहूमीन कि(कब्रों की) ज़ियारत पर ज़ोर दिया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " तर्जुमा फुर-ए काफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:

:قال الامیر المومنین علیہ السلام

زُورُوا مَوْتَاكُمْ فَإِنَّهُمْ يَفْرَحُونَ بِزِيَارَتِكُمْ وَ لْيَطْلُبْ أَحَدُكُمْ حَاجَتَهُ عِنْدَ قَبْرِ أَبِيهِ وَ عِنْدَ قَبْرِ أُمِّهِ بِمَا يَدْعُو لَهُمَا


हज़रत इमाम अली (अ.स.)ने फरमाया:


अपने मरहूमीन की कब्रों की ज़ियारत करो, क्योंकि वह आप की ज़ियारत से खुश होते हैं और तुम्हें चाहिए कि अपने मां-बाप की कब्रों पर इनके लिए दुआ करते वक्त अपनी ज़रूरतों के पूरा होने के लिए भी दुआ किया करो।

तर्जुमा फुर-ए काफी,भाग 1,पेंज 513

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